डीसी ने बताई मच्छर की पहचान, बोलीं जापानी बुखार से बचकर रहें
जागरण संवाददाता, कैथल: डीसी सुनीता वर्मा ने जिला वासियों से जापानी बुखार जैसी बीमारियों से स
जागरण संवाददाता, कैथल: डीसी सुनीता वर्मा ने जिला वासियों से जापानी बुखार जैसी बीमारियों से सतर्क रहने तथा बचाव के उपाय अपनाने का आह्वान किया है। जापानी बुखार काले रंग के मादा मच्छर के काटने से होता है, जिस पर धुंधली सफेद पट्टी बनी होती है। इसके बचाव के तरीकों में साफ-सफाई रखना, घरों के आसपास पानी न खड़े होने देना, 16 माह से 24 माह के सभी बच्चों को जापानी बुखार का टीकाकरण करवाना तथा शरीर को पूर्ण रूप से ढकने वाले वस्त्र पहनना शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि जापानी बुखार फैलाने वाले मच्छर की आदतों में यह मच्छर अंधेरे में रहना पसंद करता है। मादा क्युलेक्स मच्छर प्राय: सुबह व शाम के समय काटता है तथा दिन के समय में विश्राम करता है। इस मच्छर को पशु-पक्षियों आदि का खून पसंद होता है, लेकिन धान की फसल की कटाई के बाद इस मच्छर को भरपेट खाना नहीं मिलता, जिससे यह मच्छर बस्ती की तरफ आकर मनुष्य को काटना शुरू कर देता है। धान की खेती वाले क्षेत्रों में यह मच्छर ज्यादा पाया जाता है। धान की कटाई के साथ ही यह मच्छर रिहायशी बस्ती में घुस जाते हैं तथा भूख मिटाने के लिए आदमी को काटते हैं।
डीसी ने बताया कि जापानी बुखार से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों पर 16 माह से 24 माह के सभी बच्चों को नि:शुल्क टीके लगाए जाते हैं। अभिभावक इस आयु वर्ग के अपने बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर टीके अवश्य लगवाएं। बुखार होने की स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या नागरिक अस्पताल में रक्त की जांच करवाकर पूर्ण ईलाज करवाएं। इसके अतिरिक्त घरों के आस-पास पानी न खड़ा होने दें तथा व्यर्थ बने हुए गड्ढों को मिट्टी से भर दें। घरों के आस-पास स्थित खाली प्लाटों में खड़े पानी में केरोसीन अथवा कटा हुआ काला तेल डालें ताकि मच्छर अंडे न दे सकें।