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महंत दूजपुरी के पक्ष में फिर आया कोर्ट का फैसला

गांव बाबा लदाना स्थित बाबा राजपुरी डेरे में महंत की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद में बुधवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला महंत दूजपुरी के पक्ष में सुनाया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:15 AM (IST)
महंत दूजपुरी के पक्ष में फिर 
आया कोर्ट का फैसला
महंत दूजपुरी के पक्ष में फिर आया कोर्ट का फैसला

जागरण संवाददाता, कैथल :

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गांव बाबा लदाना स्थित बाबा राजपुरी डेरे में महंत की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद में बुधवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला महंत दूजपुरी के पक्ष में सुनाया है। कोर्ट ने दूसरे महंत प्रेमपुरी की अपील को खारिज कर दिया है। अब दूजपुरी ही डेरे के महंत होंगे। इससे पहले भी एसडीएम कोर्ट का दो बार फैसला दूजपुरी के पक्ष में आ चुका है, लेकिन दोनों बार प्रेमपुरी पक्ष ने फैसले पर कोर्ट में स्टे ले लिया था।

इस कारण प्रशासन की ओर से डेरे की गद्दी महंत को नहीं सौंपी जा सकी थी। डेरे में महंत की गद्दी को लेकर अप्रैल 2018 से विवाद चल रहा है। गांव बाबा लदाना के ग्रामीणों ने दूजपुरी को डेरे में आने वाले श्रद्धालुओं से धक्का मुक्की करने के आरोप में गद्दी से हटा दिया था, जिसके बाद प्रेमपुरी को महंत की गद्दी दी गई थी। इसके बाद ग्रामीण दो गुटों में बंट गए। दूजपुरी पक्ष के ग्रामीणों ने प्रेमपुरी को गद्दी देने का विरोध शुरू कर दिया। दोनों पक्षो की लंबी खींचतान के बाद मामला कोर्ट में चला गया था। हालांकि इससे पहले एसडीएम कोर्ट से फैसला आने के बाद दूजपुरी ने गद्दी पर बैठने के भरसक प्रयास किए लेकिन हर बार असफल रहे। दूसरे पक्ष की ओर से दोनों बार फैसले पर स्टे लिया गया।

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प्रशासन कर रहा डेरे की देखरेख

प्रशासन ने डेरे में चल रहे विवाद और दो पक्षों में बंटे ग्रामीणों को देखते हुए डेरे की देखरेख अपने अधीन ले ली थी। प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार ईश्वर ¨सह को डेरे की देखरेख के लिए रिसीवर नियुक्त किया गया था। फैसले आने के बाद के बाद गद्दी लेने के लिए महंत दूजपुरी ने लघु सचिवालय में प्रदर्शन भी किया, लेकिन गद्दी नहीं मिल पाई।

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500 वर्ष पुराना डेरे का इतिहास :

बाबा राजपुरी डेरे का इतिहास करीब 500 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। डेरे के नाम करोड़ों रुपये की संपत्ति है। डेरे की 66 एकड़ के करीब जमीन है और 80 पशु हैं। देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था बाबा राजपुरी से जुड़ी है। हर वर्ष लाखों रुपये चढ़ावा यहां दान के रुप में आता है। श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना कर व पशुओं को दान कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। दशहरा पर यहां विशाल मेला लगता है। 35 से 40 लाख का चढ़ावा मेले में आता है।

बॉक्स- कोर्ट के फैसले की प्रति नहीं आई

डीसी डॉ. प्रियंका सोनी ने कहा कि फिलहाल कोर्ट के फैसले की प्रति उनके पास नहीं आई है। प्रशासन की ओर से जो भी आगामी कार्रवाई होगी, वो फैसले की कॉपी मिलने के बाद की जाएगी।


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