खाद के साथ गैर जरूरी सामान नहीं दे सकती कंपनियां, कृषि मंत्रालय ने दिए आदेश
किसानों को खाद के साथ गैर जरूरी सामान थोपने पर कृषि मंत्रालय ने संज्ञान लिया। सभी राज्यों के कृषि निदेशकों को प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। कंपनियां किसानों को जबरन खाद के साथ गैर जरूरी सामान देती हैं।
कैथल, जागरण संवाददाता। देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों पर डीएपी खाद के नाम पर मुनाफाखोरी से जुड़े गैर जरूरी सामान को थोपने वाली कंपनियों की अब खैर नहीं है। किसानों के हितों की पैरवी के लिए कलायत के गांव कैलरम के किसान विज्ञानी ईश्वर सिंह कुंडू आगे आए हैं। उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ से किसानों के साथ की जा रही धोखाधड़ी के मुद्दे पर भारत सरकार को अवगत करवाया था।
उन्नत खेती की दिशा में बेहतरीन खोज करने वाले ईश्वर कुंडू को राष्ट्रपति द्वारा सम्मान से नवाजा जा चुका है। वे समय-समय पर कृषि व किसानों से जुड़े मुद्दों को सरकार के समक्ष उठाते आए हैं। संज्ञान में लाए गए मामले पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने अहम निर्णय लिया है। इसके तहत रसायन उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग ने गुरुवार को प्रभावी आदेश जारी किए हैं।
17 नवंबर 2022 को जारी पत्र में इसका उल्लेख किया गया है। इसमें संयुक्त सचिव उर्वरक की तरफ से सभी कंपनियों के निदेशक व चेयरमैन के साथ-साथ राज्यों के कृषि निदेशकों को पत्र जारी किया है। पत्र में खुलासा किया गया है कि उर्वरक निर्माता कंपनियां द्वारा किसानों को डीएपी के साथ अन्य सामग्री साथ लेने पर विवश किया जा रहा है। यह अपने आप में गंभीर मामला है। इसलिए कंपनियों और विक्रेताओं को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं कि वे केवल प्रयुक्त होने वाले उर्वरक को ही किसानों को उपलब्ध करवाए।
किसानों पर न डालें बोझ
अपने फायदे के लिए वे किसानों पर खर्च का बोझ न डालें। जिस प्रकार उर्वरकों के साथ अन्य सामान बेचा जा रहा है वह पूरी तरह से नियमावली के विरूद्ध है। यही कारण है कि शीर्ष स्तर पर भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय ने डीएपी खाद के नाम पर चल रहे मुनाफाखोरी के खेल पर कड़ा रुख अपनाया है। यह जमीनी स्तर पर किस कदर कारगर होगा, यह पूरी तरह से कृषि विभाग के साथ-साथ शासन-प्रशासन की मंशा पर भी निर्भर रहेगा।