ग्रामीणों को सुविधा देने का दावा ग्राम सचिवालय में कंप्यूटर न बिजली
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गांव में सुविधा देने के लिए बनाए गए ग्राम सचिवालय मात्र दिखावा बनकर रह गए हैं। सरकार ने 425 योजनाओं का लाभ देने के लिए अधिकारियों की व कर्मचारियों की ड्यूटी ग्राम सचिवालय में लगाई थी, लेकिन यहां आने वाले लोगों को बिना कामकाज के वापस लौटते हुए जिला सचिवालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कुछेक सचिवालय को छोड़कर अन्य में कंप्यूटर तक नहीं है। इंटरनेट व बिजली की सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी आ रही है।
जागरण संवाददाता, कैथल :
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गांव में सुविधा देने के लिए बनाए गए ग्राम सचिवालय मात्र दिखावा बनकर रह गए हैं। सरकार ने 425 योजनाओं का लाभ देने के लिए अधिकारियों की व कर्मचारियों की ड्यूटी ग्राम सचिवालय में लगाई थी, लेकिन यहां आने वाले लोगों को बिना कामकाज के वापस लौटते हुए जिला सचिवालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कुछेक सचिवालय को छोड़कर अन्य में कंप्यूटर तक नहीं है। इंटरनेट व बिजली की सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी आ रही है।
यहां पेंशन योजना, बिजली बिल भुगतान योजना, तहसील से संबंधित कार्य, जाति प्रमाण पत्र, कृषि से संबंधित कार्य सहित अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाना था। जिलेभर में 278 पंचायतों में से अब तक 101 गांव में ग्राम सचिवालय बने हैं। उन गांव में तो सचिवालय बनाए ही नहीं जहां पंचायत के पास बजट की कोई सुविधा नहीं है। पंचायतों के वाईफाई से जोड़ने की योजना भी अभी अधर में लटकी हुई है। अभी तक तार बिछाने का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है।
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अटल सेवा केंद्र संचालकों को नहीं पंचायती कार्यों की जानकारी
ग्राम पंचायतों की मांग है कि उन्हें ग्राम सचिवालय के साथ ही फर्नीचर, लैपटॉप, इंटरनेट व ऑपरेटर जैसी सुविधाएं दी जाएं। जबकि प्रशासन कुछ गांव में अटल सेवा केंद्र खोलकर पंचायतों को इन्हीं के माध्यम से सारा कार्य आनलाइन करवाना चाहता है। गांव किच्छाना के सरपंच प्रतिनिधि प्रवीन ने बताया कि अटल सेवा केंद्र के ज्यादातर संचालकों को पंचायती कार्यों के बारे में नहीं कोई जानकारी नहीं है। उनकी पंचायत का पूरा रिकार्ड ही गलत दर्ज कर दिया गया था, जिससे उन्हें परेशानी उठानी पड़ी। ज्यादातर पंचायतों के साथ यही हो रहा है। ग्राम सचिवालय नहीं होने से चौपाल व स्कूल में बैठकें करनी पड़ती हैं।
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पंचायत फंड बना परेशानी
- छोटी ग्राम पंचायतों के सरपंचों का आरोप है कि बड़े गांवों में ग्राम सचिवालय बनने के पीछे के कारण पंचायत को होने वाली आमदनी है। जो पंचायतें पहले से ही सक्षम हैं उन्हें ही और फंड व मदद दी जा रही है। जबकि 60 प्रतिशत पंचायतों के पास बैठने के लिए एक कमरे तक की सुविधा नहीं है।
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ग्राम सचिवालय में मेज, कुर्सियां
ही दे रहा है पंचायत विभाग
101 में से अधिकतर गांव में ग्राम सचिवालय पंचायतों ने अपने फंड से बनाए हैं। सरकार व विभाग की ओर से इनमें सिर्फ मेज, कुर्सी जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। इंटरनेट व बिजली कनेक्शन भी पंचायत को ही लेना पड़ता है।
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जिला प्रधान के गांव में भी
नहीं ग्राम सचिवालय
सरपंच एसोसिएशन के जिला प्रधान गज्जन ¨सह के गांव गो¨वदपुरा में भी ग्राम सचिवालय की सुविधा नहीं है। पंचायत के पास आमदनी का कोई साधन नहीं है। उनकी ही जैसी सैकड़ों पंचायतें हैं। इन्हें ग्राम सचिवालय व मदद के लिए सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। उनके पास जगह है, लेकिन ग्राम सचिवालय बनाने को ग्रांट नहीं मिल पा रही है। मासिक बैठक भी पंच या फिर खुद के घर पर ही करनी पड़ती है।
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कलस्टर स्तर पर बनाए
जाएंगे ग्राम सचिवालय
डीडीपीओ कंवर दमन ¨सह का कहना है कि पहले बड़ी पंचायतों में ही इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाया गया है, क्योंकि वहां आबादी ज्यादा है। इसका उद्देश्य अधिक आबादी तक पहुंच बनाना है। अब बचे हुए गांव में दो से तीन ग्राम पंचायतों को मिलाकर कलस्टर स्तर पर ग्राम सचिवालय बनाए जाएंगे, ताकि लोगों को ग्राम स्तर या आसपास ही सभी सुविधाएं मिल पाएं।