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चौशाला गांव में च्यवन ऋषि सरोवर कुंड का किया जाएगा जीर्णोद्धार

चौशाला गांव स्थित ऐतिहासिक च्यवन ऋषि सरोवर कुंड का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और पंचायती राज से इस कार्य को पूरा करने के लिए अनुशंसा की गई है। सरपंच बलदेव सिंह ने बताया कि कलायत क्षेत्र की माटी अपने अंदर अनेक ऐतिहासिक धरोहर समेटे है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 10:41 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 06:38 AM (IST)
चौशाला गांव में च्यवन ऋषि सरोवर 
कुंड का किया जाएगा जीर्णोद्धार
चौशाला गांव में च्यवन ऋषि सरोवर कुंड का किया जाएगा जीर्णोद्धार

संवाद सहयोगी, कलायत : चौशाला गांव स्थित ऐतिहासिक च्यवन ऋषि सरोवर कुंड का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और पंचायती राज से इस कार्य को पूरा करने के लिए अनुशंसा की गई है। सरपंच बलदेव सिंह ने बताया कि कलायत क्षेत्र की माटी अपने अंदर अनेक ऐतिहासिक धरोहर समेटे है। कुरुक्षेत्र की परिधि में शामिल इस क्षेत्र के हर गांव का अपना गौरवशाली इतिहास है। चौशाला गांव में च्यवन ऋषि की तपोस्थली देश भर में विख्यात है, जिसका जीर्णोद्धार जरूरी है।

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क्या है इतिहास:

ग्रामीण बताते है कि किसी समय में ऋषि भृगु के पुत्र च्यवन ऋषि ने कलायत के चौशाला गांव स्थित प्राचीन कुंड में स्नान किया था। सरस्वती नदी का प्रवाह इस कुंड से होकर गुजरता था। च्यवन ऋषि ने ढ़ोसी की पहाड़ी पर जाकर घोर तप किया, जिससे ऋषि को दीमक लग गए।

इस दौरान राजा शयरति ढ़ोसी पहाड़ी की ओर सैर को निकले। उनके काफिले के साथ उनकी पुत्री सुकन्या भी थी। रात होने पर राजा ने इस पहाड़ी पर अपना पड़ाव डाला। दूसरे रोज जब सुकन्या अपनी सखियों सहित घूमने निकली तो उसने मिट्टी से लदे ऋषि को देखा। ऋषि का शरीर तो मिट्टंा से ढका था, लेकिन नत्रों के स्थान पर दो गड्ढे नजर आ रहे थे।

राजकुमारी सुकन्या ने जब यह सब देखा तो जिज्ञासा वश उसने गड्ढों में कांटे चुभा दिए। कांटे लगने से ऋषि वर की आंखों से रक्त धार बह निकली। यह देख सुकन्या घबरा गई और राजा शयरति के पास पहुंचकर सारी घटना बताई। जब ऋषि के बारे में राजा को जानकारी हुई तो वे बड़े दुखी और विचलित हुए।

उन्होंने सुकन्या को ऋषि वर की सेवा में अर्पित कर दिया। दयालु ऋषि से सुकन्या की यह हालत देखी न गई। उन्होंने सुकन्या के जीवन को सुखमय बनाने के लिए देव वैद्य अ‌िर्श्वनी कुमार से अपने तपो बल द्वारा अपने वृद्ध अंगों में तरुणाई व आंखों की रोशनी प्राप्त की। अ‌िर्श्वनी पुत्रों ने ऋषि को युवा अवस्था में लाने के लिए गांव चौशाला स्थित प्राचीन कुंड में स्नान करवाया था। इसके बाद ऋषि यहीं रहने लगे थे।


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