सरकार की बंदिशों के कारण शहीद हो रहे जवान :ढुल
जितेंद्र कुमार, कैथल : सेरहदा निवासी कैप्टन नर¨सह ढुल का परिवार देशसेवा के सेरहदा निवासी कैप्टन नर¨सह ढुल का परिवार देशसेवा के लिए समर्पित है। जहां दस सदस्य सेना से सेवानिवृत हो चुके हैं, वहीं चार युवा अब भी सेना में कार्यरत हैं। यह गांव ही नहीं बल्कि कैथल जिले के लिए भी गर्व की बात है कि एक ही परिवार के इतने सदस्य सेना में सेवाएं दे चुके हैं व दे रहे हैं।
जितेंद्र कुमार, कैथल :
सेरहदा निवासी कैप्टन नर¨सह ढुल का परिवार देशसेवा के लिए समर्पित है। जहां दस सदस्य सेना से सेवानिवृत हो चुके हैं, वहीं चार युवा अब भी सेना में कार्यरत हैं। यह गांव ही नहीं बल्कि कैथल जिले के लिए भी गर्व की बात है कि एक ही परिवार के इतने सदस्य सेना में सेवाएं दे चुके हैं व दे रहे हैं।
कैप्टन बताते हैं कि देश के लिए ऐसी कोई लड़ाई नहीं, जिसमें परिवार का एक सदस्य शामिल न हो। 1992, 1965 में मौसेरे भाई सूबेदार मियां ¨सह ढुल, 1971 छोटे भाई सेना नायक ईश्वर ¨सह ढुल, कारगिल में स्वयं कैप्टन नर ¨सह ढुल, छोटा भाई सूबेदार रणधीर ¨सह ढुल, बेटा राजेश ढुल ने जंग लड़ी। कारगिल की जब वे तीनों जंग लड़ रहे थे तो उन्होंने अपने बेटे राजेश ढुल को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें कहा था कि बेटा पीठ नहीं दिखानी है, दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देना है। अगर देश के लिए शहीद हुआ तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी। आज भी बेटा उस चिट्ठी को साथ लिए हुए है।
दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए भूतपूर्व सैनिक कल्याण समिति के प्रधान कैप्टन नर¨सह ढुल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकी घटना को लेकर सरकार को कड़ा जवाब देते हुए सेना को खुली छूट देनी चाहिए। हमारी सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेना है। सेना आतंकवादियों व पाकिस्तान की इस कायरता का हर तरह से जवाब देने के लिए तैयार है। ऐसी घटनाओं पर राजनीति न होकर सभी दलों को एकजुटता दिखानी चाहिए।
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जेलों में आतंकियों को सुविधा देने की बजाए गोली से उड़ाना चाहिए
उन्होंने कहा कि आतंकियों को जेल में सरकार की ओर से जो सुविधाएं दी जाती हैं, वे भी गलत हैं। ऐसे लोगों को जांच के बाद ही पब्लिक के सामने कत्ल कर देना चाहिए। जिनके जवान मरते हैं, उनके परिवारों वालों पूछो शहादत क्या होती है। आज भी देश में हजारों केस ऐसे हैं, जहां शहीदों के परिवारों को कुछ नहीं मिला। सैनिक की ड्यूटी के दौरान किसी भी तरह से मौत हो उसे शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। सैनिक के लिए शहादत ही उसका सबसे बड़ा मेडल होता है, इसलिए सैनिक की शहादत पर राजनीति न होकर सभी सुविधाएं परिवार को मुहैया करवाई जाए।
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सरकार की बंदिशों के कारण
बंधे सैनिकों के हाथ :
ढुल ने कहा कि सरकार की बंदिशों के कारण सैनिकों के हाथ बंधे हुए हैं। छुप कर वार करने वाले आतंकियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाए कि उनसे जुड़े लोगों का भी दिल दहल जाए। एक सिर के बदले पीएम ने दस सिर लाने की बात कही थी, लेकिन वे सिर कहां हैं? आज भी बंदिशों के कारण जवान शहीद हो रहे हैं। जबकि आतंकी खुलेआम घूम रहे हैं। कारगिल में सेना ने उग्रवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। कारगिल की पहाड़ी में आतंकियों को बंधक बनाया। उस समय भी हरियाणा के सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए। यहां भी एक बात गलत हुई कि बाद में सरकारी सुरक्षा में आतंकियों को छोड़ दिया गया। यह भी सरकार की बहुत बड़ी भूल थी। अगर ऐसे ही रहा तो आतंकियों से निपटना नामुमकिन है। आतंकियों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट दी जानी चाहिए।