जेबीटी अध्यापकों के बदौलत बुलंदियों को छू रहा राजकीय प्राइमरी स्कूल
गांव सिसला का राजकीय प्राइमरी स्कूल निजी स्कूलों को मात दे रहा है। यह स्कूल नाम से तो सरकारी है लेकिन यहां पर पढ़ा रहे जेबीटी शिक्षकों की बदौलत यह किसी निजी स्कूल से कम नहीं हैं। यही कारण है कि यहां पर बच्चे निजी स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। चार साल तक संघर्ष करने बाद बने छह जेबीटी अध्यापकों ने स्कूल की कायापलट कर रख दी है। यहां पर वे स्कूल की खामियों को अपने खर्चें से दूर कर रहे हैं ताकि कोई भी बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न रह सके।
जागरण संवाददाता, कैथल :
गांव सिसला का राजकीय प्राइमरी स्कूल निजी स्कूलों को मात दे रहा है। यह स्कूल नाम से तो सरकारी है, लेकिन यहां पर पढ़ा रहे जेबीटी शिक्षकों की बदौलत यह किसी निजी स्कूल से कम नहीं हैं।
यही कारण है कि यहां पर बच्चे निजी स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। चार साल तक संघर्ष करने बाद बने छह जेबीटी अध्यापकों ने स्कूल की कायापलट कर रख दी है। यहां पर वे स्कूल की खामियों को अपने खर्चें से दूर कर रहे हैं, ताकि कोई भी बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न रह सके।
पिछले दो वर्षों में पांचवीं कक्षा के दो विद्यार्थियों का नवोदय विद्यालय में भी दाखिला हुआ है। इस जेबीटी अध्यापकों की मेहनत से स्कूल प्राइमरी विग में जिला में पढ़ाई व सफाई में नंबर वन बन चुका है। वर्ष 2017 में स्कूल में सफाई व्यवस्था काफी बदहाल ही थी। यहां पर ग्रामीण कूड़ा कर्कट तक डालते थे, लेकिन स्कूलों के छह अध्यापकों के कारण आज स्कूल नई बुलदियों को छू रहा है। अध्यापक स्वयं अपने खर्चे पर बच्चों को वर्दियां व किताबें दिलाते हैं। इसके साथ मुख्यमंत्री सुंदरीकरण योजना के तहत पिछले दो वर्षाें से स्कूल जिला में प्रथम आ रहा है।
यह अध्यापक दे रहे सेवाएं
राजकीय प्राइमरी स्कूल सिसला में इंचार्ज राजेश ढुल, राकेश, संजीव, ऋषि नैन, मनोज, राजेश कुमार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें से राजेश ढुल व राकेश को छोड़कर अन्य चार अध्यापकों ने चार वर्षाें के संघर्ष के बाद 2017 में स्कूल में ड्यूटी ज्वाइन की थी। इसके बाद से ही यहां पर सुधार कार्य करना शुरू किया।
स्कूल में स्मार्ट क्लास
व पार्क बना दिया संदेश :
स्कूल के इंचार्ज राजेश ढुल व ऋषि नैन ने बताया कि वर्ष 2016 में यह स्कूल गांव सिसला में मर्ज होता था। जो 2017 में अलग हुआ। इसके बाद यहां पर अलग से पार्क बनाया। इसमें बच्चों को विज्ञान व गणित की शिक्षा देने के लिए यहां पर वृत बनाए गए। इसके साथ ही बच्चों को दृश्यात्मक रूप से समझाने के लिए खुद के खर्चें पर स्मार्ट कक्षा बनाई और शुद्ध पानी के लिए आरओ लगवाया और गांव में बिजली की समस्या के समाधान के लिए सोलर पैनल सिस्टम लगवाया गया। इसके अलावा भी स्कूल में सफाई व मैदान को ठीक कराने जैसे अन्य कार्य करवाए गए।