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गांव रोहेड़िया के किसानों ने पराली नहीं जलाने का लिया संकल्प फसल

दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण को बचाएंगे अभियान के तहत सोमवार को किसानों को जागरूक करने के लिए गांव रोहेड़ियां में एक चौपाल कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 09:31 AM (IST)
गांव रोहेड़िया के किसानों ने पराली नहीं जलाने का लिया संकल्प फसल
गांव रोहेड़िया के किसानों ने पराली नहीं जलाने का लिया संकल्प फसल

जागरण संवाददाता, कैथल :

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दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण को बचाएंगे अभियान के तहत सोमवार को किसानों को जागरूक करने के लिए गांव रोहेड़ियां में एक चौपाल कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस चौपाल कार्यक्रम में किसानों ने फसल अवशेष जलाने के नुकसान और इसके विकल्प पर चर्चा की।

किसानों ने अपने खेतों की जमीन की उर्वरता शक्ति बनाए रखने के लिए अवशेष प्रबंधन पर विशेष रूप से ध्यान देने का आश्वासन भी दिया। किसानों ने कम लागत में बेहतर पैदावार के उपाय को अपनाकर हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई करने की बात भी कही।

बॉक्स : अवशेष जलाने का शौक नहीं

किसान फूल कुमार ने कहा कि खेतों में फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए घातक है। यह हम मानते हैं, लेकिन फसल अवशेषों की खरीद की व्यवस्था होनी चाहिए। किसान इस हक में नहीं है कि वे खेतों में पराली या अन्य अवशेष जलाएं। कई परिस्थितियों में फसल अवशेषों को जलाना किसानों की मजबूरी हो जाती है। कई गुणा अधिक डीजल की खपत होती है। कंबाइन से कटाई के बाद खेतों की जोताई करना मुश्किल हो जाता है। उन खेतों में अधिक दिक्कत आती है, जिनमें आलू या सब्जी की बिजाई करनी है।

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फसल अवशेष जमीन को बंजर करते

किसान राकेश कुमार ने कहा कि खेतों में जल रहे फसल अवशेष जमीन को बंजर करते हैं, इसलिए वे पराली जलाने से परहेज करेंगे। इसके साथ ही प्रदूषित कण शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों में सूजन सहित इंफेक्शन, निमोनिया और हार्ट की बीमारियां का कारण बनते हैं। जिससे खांसी, अस्थमा, डाइबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। फसल अवशेषों का खेत में ही प्रबंधन किया जा सकता, इसे हम अपनाएंगे, जिससे पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा।

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मित्र कीटों का नष्ट होना, मुख्य समस्या :

किसान कुलदीप कुमार ने बताया कि खेतों में फसल अवशेष जलाने से बीमारियां, मृदा की उर्वरा शक्ति घटना व मित्र कीटों का नष्ट होना, मुख्य समस्या है। यह समस्या किसानों की ओर से पराली को जलाने से होती है, इसलिए हम पराली नहीं जलाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करेंगे। फसल अवशेष जलाने से प्रति हेक्टेयर 2500 रुपये के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। नाइट्रोजन, सल्फर और अन्य पोषक तत्वों में भी कमी आई है। किसानों को चाहिए कि खेतों में अवशेष न जलाएं।

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भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही :

किसान सुशील कुमार ने कहा कि किसानों की ओर से पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। जिस कारण भूमि में 80 फीसद तक नाइट्रोजन, सल्फर और 20 फीसद अन्य पोषक तत्वों में कमी आई है। मित्र कीट नष्ट होने से शत्रु कीटों का प्रकोप बढ़ा है जिससे फसलों में तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। इसलिए हम पराली नहीं जलाएंगे। किसानों को चाहिए कि खेतों में फसल अवशेष न जलाएं।


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