भाजपा ने चारों सीटों पर नए चेहरे उतार खेला दांव
भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार दोपहर बाद पहली सूची जारी की है। इसमें दो मौजूदा विधायक गुहला से कुलवंत बाजीगर व पूंडरी से निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुए दिनेश कौशिक का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव खेला है।
सुरेंद्र सैनी, कैथल : भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार दोपहर बाद पहली सूची जारी की है। इसमें दो मौजूदा विधायक गुहला से कुलवंत बाजीगर व पूंडरी से निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुए दिनेश कौशिक का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव खेला है।
जहां कैथल हलके से पूर्व विधायक लीला राम को मैदान में उतारा है, वहीं पहली बार महिला नेत्री को टिकट देते हुए कमलेश ढांडा को कलायत हलके से प्रत्याशी बनाया है। संघ की पाठशाला से आने वाले, जिला परिषद सदस्य रवि तारांवाली को गुहला तो पूंडरी हलके वेदपाल एडवोकेट को चुनावी दंगल में उतारा है। टिकट की घोषणा के बाद जहां प्रत्याशियों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, रंग व गुलाल उड़ाए जा रहे हैं, वहीं टिकट के दावेदारों में मायूसी है। टिकट कटने के बाद कई दावेदारों ने अपने वर्करों को एकत्रित करते हुए नई रणनीति बनाई शुरू कर दी है, वहीं दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भी संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
2000 विस चुनाव में जीतने में
सफल रहे थे लीला राम
पूर्व विधायक लीला राम ने वर्ष 1991 में इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इनेलो में जिलाध्यक्ष पद पर रहे। 2000 में फिर से इनेलो ने उम्मीदवार बनाया, 18 हजार वोटों से यह चुनाव जीतने में सफल रहे। 2005 में इनेलो ने टिकट काटने के बाद कैलाश भगत को मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी शमशेर सिंह सुरजेवाला जीतने में सफल रहे। 2009 के चुनाव में भी लीला राम इनेलो से दावेदार थे, लेकिन टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने इनेलो को छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली।
2014 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर दावेदार थे, लेकिन हजकां को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राव सुरेंद्र सिंह टिकट लेने में सफल रहे, जो चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे।
इस सीट पर इनेलो से तीन बार चुनाव लड़े कैलाश भगत व 2009 में बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े सुरेश गर्ग नौच भी दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास नहीं जताया। कैलाश भगत जहां लोकसभा चुनाव से करीब एक माह पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे, और कुरुक्षेत्र लोकसभा से भी टिकट के दावेदार थे।
गुहला से मौजूदा विधायक
का कटा टिकट
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज करने वाले एक मात्र विधायक कुलवंत बाजीगर पर भाजपा इस बार विश्वास नहीं जताया। उनका टिकट काटते हुए जिला परिषद के वार्ड नंबर 17 से पार्षद रवि तारांवाली को प्रत्याशी बनाया है। पांच साल तक विधायक कुलवंत बाजीगर का विवादों से नाता रहा, जो पार्टी के लिए गले की फांस बने रहे, इस कारण पार्टी को काफी फजीहत झेलनी पड़ी।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान खानपुर, भागल तो सीएम की रथ यात्रा के दौरान सीवन सहित अन्य गांव में विधायक के खिलाफ नारेबाजी की। पब्लिक हेल्थ के एसडीओ से मारपीट की वीडियो वायरल हो या 12वीं कक्षा की परीक्षा में लिए गए अंकों को लेकर हुए विवाद में विधायक कुलवंत बाजीगर सुर्खियों में रहे हैं, यही कारण है कि पार्टी ने इस बार चुनाव में उनका टिकट काटते हुए युवा चेहरे पर दांव खेला है। वहीं इस क्षेत्र से इनेलो छोड़कर आए पूर्व विधायक बूटा सिंह, संघ से जुड़े देवेंद्र हंस भी दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास नहीं जताया। दोनों ही नेता हलके के सबसे बड़े गांव सीवन से संबंध रखते हैं।
कलायत से कमलेश ढांडा पर विश्वास जता दिया टिकट
भाजपा ने पहली बार जिले में महिला नेत्री को टिकट देते हुए कमलेश ढांडा को कलायत हलके से मैदान में उतारा है। कमलेश ढांडा पूर्व मंत्री नरसिंह ढांडा की धर्मपत्नी है। नरसिंह ढांडा पाई हलके से दो बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े हैं। 2009 से पहले इस हलके को तोड़कर कलायत में शामिल कर दिया था। भाजपा की टिकट पर यहां से 2014 का चुनाव लड़े पार्टी के प्रांतीय उपाध्यक्ष धर्मपाल शर्मा को भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उपयुक्त व मजबूत नहीं माना। इसी प्रकार हालही में इनेलो छोड़कर भाजपा में कद्दावर नेता रामपाल माजरा भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
पूंडरी हलके से वेदपाल को बनाया प्रत्याशी
पूंडरी हलके से इस बार भाजपा की टिकट पर सबसे मजबूत माने जाने वाले मौजूदा विधायक दिनेश कौशिक ने आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी, इसके बाद उन्होंने भाजपा का समर्थन दिया था। इस बार लोकसभा चुनाव में भी करनाल संसदीय क्षेत्र से टिकट के दावेदार थे, लेकिन असफल रहे। जुलाई माह में कैथल की नई अनाज मंडी में आयोजित हुई रैली सीएम मनोहर लाल ने मंच से कहा था कि भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं में भाजपा देरी से आती है, लेकिन कौशिक में भाजपा पहले आ गई है और ये पार्टी में बाद में आए हैं। सार्वजनिक मंचों पर तो सीएम मनोहर लाल विधायक दिनेश कौशिक को आशीर्वाद देते रहे, लेकिन टिकट रूपी आशीर्वाद देने से वंचित रखा। इसी प्रकार 2009 व 2014 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े रणधीर सिंह गोलन को भी अपनी बेबाक टिप्पणी का खामियाजा भुगतना पड़ा। अक्सर राजनीतिक मंचों पर गोलन मौजूदा विधायक व सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी करते रहे हैं। जब सीएम ने गांव में खुले दरबार कार्यक्रम आयोजित किए तो गोलन उसमें शामिल नहीं हुए। पूंडरी हलके से निर्दलीय विधायक पिछले छह चुनाव में बनते आ रहे हैं।