किसानों का एलान: गांव में बिजली, बैंक और कृषि विभाग का अफसर दिखा तो बनाएंगे बंधक
किसानों ने एलान कर दिया है कि अगर कोई अफसर पराली का धुआं देखकर उनके चालान करने पहुंचा तो उसे वापस नहीं जाने दिया जाएगा वहीं बंधक बना लेंगे। बिजली निगम और बैंक का अधिकारी भी गांव में आया तो उसका भी यही हाल होगा। वीरवार को भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने तीन कानूनों के विरोध में ट्रैक्टरों के साथ लघु सचिवालय में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं होंगे तब तक वे न तो बिजली के बिल भरेंगे और न ही बैंक कर्ज की किश्तें।
जागरण संवाददाता, कैथल: किसानों ने एलान कर दिया है कि अगर कोई अफसर पराली का धुआं देखकर उनके चालान करने पहुंचा तो उसे वापस नहीं जाने दिया जाएगा, वहीं बंधक बना लेंगे। बिजली निगम और बैंक का अधिकारी भी गांव में आया तो उसका भी यही हाल होगा। वीरवार को भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने तीन कानूनों के विरोध में ट्रैक्टरों के साथ लघु सचिवालय में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं होंगे, तब तक वे न तो बिजली के बिल भरेंगे और न ही बैंक कर्ज की किश्तें। पराली जलाने पर कोई अधिकारी रोकने आया तो उसे बंधक बना लिया जाएगा। किसान बोले, प्रशासन को पराली का धुआं तो दूर से नजर आ जाता है, लेकिन उनकी आंखों के आंसू नहीं दिखते।
उन्होंने मंडियों में धान की दुर्गति पर भी प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही है और न ही 72 घंटे में भुगतान। उन्होंने पंजाब की तर्ज पर एमएसपी कानून बनाने और खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग की।
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के किसान जवाहर पार्क में एकत्रित हुए और शहर में ट्रैक्टर मार्च निकालते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। डीसी को ज्ञापन देने के लिए अड़ गए। किसान बोलने लगे कि जब तक डीसी साहब ज्ञापन नहीं लेते हैं, तब तक उनका धरना यहीं जारी रहेगा। डीसी न तो मंडी का दौरा कर रहे हैं और न ही किसानों की समस्याएं सुन रहे हैं। केवल किसानों पर पराली जलाने का मामला दर्ज करवा रहे हैं। इससे किसान किसी भी हालात में सहन नहीं करेगा। किसान सभी वर्गों का पेट भरता है कोरोना के डर से छिपे अधिकारियों को अगली बार बाहर निकलना ही पड़ेगा।
पुलिस प्रशासन ने बैरिकेड्स लगाकर रोका किसानों को
पुलिस प्रशासन ने किसानों को बैरिकेड्स लगाकर लघु सचिवालय के मुख्य गेट पर जाने से पहले की रोक लिया। किसान वहीं पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। डीसी का ज्ञापन देने के लिए अड़ गए। तहसीलदार सुदेश कुमारी पहुंची तो किसानों ने उन्हें ज्ञापन देने से मना कर दिया। उसके बाद किसानों के बीच एसडीएम डा.संजय कुमार पहुंचे तो किसानों ने उनको भी ज्ञापन देने से मना कर दिया। एसडीएम ने किसानों को उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के आश्वासन से ज्ञापन ले लिया।
बंधुआ मजदूर बना लिया है किसानों को
भाकियू के प्रदेश महासचिव भूरा राम पबनावा व सतपाल दिल्लोंवाली ने कहा कि सरकार ने किसानों को बंधुआ मजदूर बना लिया है। अपनी मनमर्जी से फसल को खरीद रही है। इससे किसान किसी कीमत पर नहीं होने देगा, चाहे उसको जान की कुर्बानी देनी पड़ जाए।
डाक से ही भेद देते हैं ज्ञापन-
किसान बलवंत ने कहा कि जब डीसी ज्ञापन लेने आते ही नहीं है तो उन्हें डाक से ही भेज देते। हमें यहां आने की जरूरत नहीं है। सरकार ने डीसी साहब को यहां लोगों की समस्याएं सुनने के लिए बुलाया है। घर पर बैठने के लिए नहीं। आगे से डीसी ने ज्ञापन नहीं लिया तो हम उसके खिलाफ ही धरना दे देंगे। इस मौके पर सुरेश खुराना, प्रदीप कुराड़, महेंद्र सिंह उपस्थित रहे।