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सावधान, सड़कों पर गडढे साबित हो रहे जानलेवा, सांकेतिक चिह्नों का अभाव

सर्दी का मौसम शुरू होते हुए ही सुबह के समय हल्की धुंध शुरू हो गई है। सर्दी में होने वाले सड़क हादसों को लेकर संबंधित विभागों की तरफ से तैयारी नजर नहीं आ रही हैं। जहां सड़कों पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं वहीं सांकेतिक चिन्हों या तो सड़कों पर नजर नहीं आते तो कहीं पर पेड़ों में छिपे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:33 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:33 AM (IST)
सावधान, सड़कों पर गडढे साबित हो रहे  जानलेवा, सांकेतिक चिह्नों का अभाव
सावधान, सड़कों पर गडढे साबित हो रहे जानलेवा, सांकेतिक चिह्नों का अभाव

जागरण संवाददाता, कैथल : सर्दी का मौसम शुरू होते हुए ही सुबह के समय हल्की धुंध शुरू हो गई है। सर्दी में होने वाले सड़क हादसों को लेकर संबंधित विभागों की तरफ से तैयारी नजर नहीं आ रही हैं। जहां सड़कों पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं, वहीं सांकेतिक चिन्हों या तो सड़कों पर नजर नहीं आते तो कहीं पर पेड़ों में छिपे हुए हैं। ऐसे में कैसे सड़क हादसों के ग्राफ को कम किया जाएगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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जिले में राष्ट्रीय और नेशनल हाइवे पर 16 जगहों पर डेथ प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं। यहां हर साल सैकड़ों लोग सड़क हादसों में लोग अपनी जिदगी गवां रहे हैं। हादसों को रोकने के लिए प्लान तो तैयार होता है, लेकिन उसे पूरा करने की बजाए खानापूर्ति की जाती है। यही कारण है सड़कें खून से लाल हो रही है। किसी के घर का चिराग बूझ रहा है तो किसी के घर के मुखिया की हादसे में मौत हो जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट रहा है। इस वर्ष जिलेभर में अब तक 250 के करीब सड़क हादसों में 70 के करीब लोगों की मौत हुई है।

जिले में 16 खतरनाक प्वाइंट

जिलेभर में राज्य और नेशनल हाइवे पर 16 ऐसे खतरनाक प्वाइट हैं जहां हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हिसार-चंडीगढ़ मार्ग पर कैथल से अंबाला रोड पर करीब 12 किलोमीटर का सफर जानलेवा साबित हो रहा। नेशनल हाइवे पर क्योड़क गांव के नजदीक, मानस ड्रेन पुल, जगदीशपुरा टी-प्वाइट, अंबाला रोड बाइपास नाका, सत्संग भवन, जींद रोड बाइपास, तितरम मोड बाइपास हैं। सड़क के दोनों तरफ बरम खस्ताहाल हैं। नेशनल हाइवे पर गहरे गड्ढे होने के कारण आए दिन हादसे बढ़ रहे हैं। ज्यादातर हादसों का मुख्य कारण चालकों की तेज रफ्तार, लापरवाही और ओवरटेकिग है।

कैथल-करनाल मार्ग पर मूंदड़ी नहर पुल, ढांड में पंचमुखी चौक, कैथल पटियाला मार्ग पर टी प्वाइंट डेरा, करनाल रोड, कुरुक्षेत्र रोड, जींद रोड बाइपास, तितरम मोड और कलायत का कैंची चौक पर हादसे हो रहे हैं।

आठ साल पहले एनजीओ

ने किया था सर्वे

आठ साल पहले यमुनानगर की एक एनजीओ रिसर्च एंड डेवल्पमेंट इन रोड सेफ्टी एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट ने पुलिस के साथ मिलकर सर्वे किया था। जिले के मार्गों पर स्टडी करने के बाद संस्था पदाधिकारियों ने कैथल से अंबाला रोड पर 12 किलोमीटर क्षेत्र में खतरनाक प्वाइंटों की पहचान कर रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया गया था कि 70 से 80 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं का कारण बदहाल सड़क, तीव्र मोड है। सर्वे में मुख्य रूप से बिजली खंभे, तीव्र मोड़, मोड़ पर पेड़ और अन्य रूकावटें, अतिक्रमण, डिवाइडर और लाइटिग के अभाव और सड़कों का रखरखाव सही न होने सहित कई कमियां का होना बताया गया था।

यहां बदहाल सड़कों के कारण आए दिन हो रहे हादसे

शहर में बैंक कालोनी से चंदाना गेट, पुराना बाइपास, चंदाना गेट से कुतुबपुर रोड, पुराना अस्पताल से खनौरी बाइपास, लघु सचिवालय से ढांड रोड कैथल, सेक्टर 19 से जींद रोड जाने वाली सड़क पर गहरे गड्ढे बने हुए हैं। इसी प्रकार लिक मार्गो पर बनाए गए पुल भी खस्ता हाल हैं जो कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं। मुख्य मार्गों पर लगाए गए सांकेतिक चिह्न आज खस्ता हालत में हैं। कहीं तो टूटे हुए हैं कहीं जंग लगा हुआ है। सर्दी का मौसम शुरू होने के बावजूद इस तरफ विभागीय अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है। सड़कों पर सफेद पट्टी तक नहीं लगाई गई है।

एक दिसंबर से चलाया जाएगा अभियान : डोहर

आरएसओ संगठन के पदाधिकारी एवं जीवन रक्षक दल संस्था के प्रधान राजू डोहर ने बताया कि संस्था की तरफ से हादसों को रोकने के लिए प्रशासन के साथ अभियान चलाया जाता है। इस बार एक दिसंबर से अभियान की शुरूआत की जाएगी। वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे। चालकों को धुंध के मौसम में धीमी गति से वाहन चलाने के लिए जागरूक किया जाएगा।

वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे

जेडकिग संस्थान के संचालक बलविद्र ढुल ने बताया कि सर्दी के मौसम की शुरूआत हो चुकी है। यातायात पुलिस के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा। वाहनों के रिफ्लेक्टर लगाए जाएंगे। प्रशासन को भी टूटी सड़कों का निर्माण करना चाहिए, ताकि हादसों को रोका जा सके।


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