पिता ने सेल्फ डिफेंस के लिए मैदान में उतारा, लगा दी मेडलों की झड़ी
सुनील जांगड़ा, कैथल : देश की सेवा कर रिटायर्ड हो चुके फौजी जोगेंद्र ¨सह निवासी सौंगल ने अपनी बेटी ज्योति को सेल्फ डिफेंस के लिए खेल के मैदान में उतारा। 2010 में गांव में पहली बार कोच संदीप कुमार ने जूडो को¨चग सेंटर शुरू किया गया। जोगेंद्र ने 2010 में ही जूडो सीखने के लिए बेटी को सेंटर में भेजना शुरू कर दिया। जूडो सीखाने का उद्देश्य था कि जरूरत पड़ने पर बेटी आत्म रक्षा कर सके। अब ज्योति लगातार मेडल जीत रही है और गांव व जिले का नाम
सुनील जांगड़ा, कैथल : देश की सेवा कर रिटायर्ड हो चुके फौजी जोगेंद्र ¨सह निवासी सौंगल ने अपनी बेटी ज्योति को सेल्फ डिफेंस के लिए खेल के मैदान में उतारा। 2010 में गांव में पहली बार कोच संदीप कुमार ने जूडो को¨चग सेंटर शुरू किया गया। जोगेंद्र ने 2010 में ही जूडो सीखने के लिए बेटी को सेंटर में भेजना शुरू कर दिया। जूडो सीखाने का उद्देश्य था कि जरूरत पड़ने पर बेटी आत्म रक्षा कर सके। अब ज्योति लगातार मेडल जीत रही है और गांव व जिले का नाम रोशन कर रही है। ज्योति का छोटा भाई हरजीत भी जूडो का खिलाड़ी है जो कई मेडल अपने नाम कर चुका है। 22 वर्षीय खिलाड़ी ने 44 किलोग्राम भार वर्ग में खेलो इंडिया यूथ गेम प्रतियोगिता में भाग लिया। नौ जनवरी से 16 जनवरी तक यह प्रतियोगिता पूणे में चल रही है। बेहतर खेल का प्रदर्शन करते हुए ज्योति ने तीसरा स्थान हासिल किया और कांस्य पदक अपने नाम किया। इस भार वर्ग में पूरे देश से 25 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। मौजूदा समय में ज्योति गांव में ही कोच चेतन के पास जूडो का अभ्यास कर रही है। खिलाड़ी की इस उपलब्धि पर गांव में खुशी का माहौल है। बॉक्स
यह हैं खिलाड़ी की उपलब्धि
ज्योति ने 2010 में खेलना शुरू किया। उसके बाद से लगातार मेडल जीत रही है। खिलाड़ी स्कूली स्टेट प्रतियोगिता में दो गोल्ड, जूनियर स्टेट प्रतियोगिता में दो गोलड, इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में दो गोल्ड एक सिल्वर, आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में दो बार भाग लिया। 2017-18 में मणिपुर में हुई जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल हासिल कर चुकी हैं। खिलाड़ी कुल मिलाकर राज्य स्तर पर दस से अधिक मेडल अपने नाम कर चुकी है। बॉक्स
गांव में अभ्यास कर रहे 35 के करीब खिलाड़ी
कोच चेतन ने बताया कि गांव की खेल एकेडमी में करीब 35 खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। एकेडमी में अभ्यास करने वाली पांच लड़कियां राष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं। पांच लड़कियां नेशनल प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं। इसके अलावा तीन लड़के राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। रोजाना पांच घंटे खिलाड़ियों को अभ्यास करवाया जाता है। जूडो में खिलाड़ियों ने कई बार गांव का नाम रोशन किया हुआ है।
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