कृषि मंत्री ने दिया धान रैली का न्योता, कहा- पीएम ने साकार किया जय किसान-जय जवान का नारा
कृषि मंत्री ओपी धनखड़ घरौंडा में 29 जुलाई को होने वाली धान रैली का न्यौता देने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केंद्र की कृषि नीति के बारे में बताया।
जेएनएन, कैथल। कृषि एवं किसान कल्याण, विकास तथा पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सच्चे अर्थों में जय जवान व जय किसान के नारे को साकार किया है। वन रैंक, वन पेंशन की योजना को लागू करके 10 हजार 800 करोड़ रुपये सैनिकों के खाते में डाले गए हैं।
धनखड़ ने कहा कि किसानों को उनकी सभी फसलों के लाभकारी मूल्य देकर जय जवान-जय किसान के नारे को सरकार ने सार्थक किया है। उन्हें 33 हजार 500 करोड़ रुपये का लाभ दिया। धनखड़ पंचायत भवन कैथल में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। वे 29 जुलाई को घरौंडा में होने वाली मुख्यमंत्री मनोहर लाल की धान रैली का निमंत्रण देने पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के किसानों में उत्साह का माहौल है। किसानों को सही मायनों में आर्थिक आजादी मिलने से उन्हें फसलों के लाभकारी मूल्य मिले हैं। देश में कृषि मूल्य आयोग के गठन के बाद नोरमन वारलो ने जिस हरित क्रांति का सपना संजोया था, आज देश में सही मायनों में उस हरित क्रांति के सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार किया है।
उन्होंने कहा कि एक समय था, जब किसान घर के पशु और खाद तथा परिवार के सदस्यों के साथ खेती करता था, लेकिन समय के बदलाव के साथ आज खेती में रासायनिक खादों व मशीनों के उपयोग के कारण पैकेज टेक्नोलॉजी का युग आ गया है। ऐसे हालात में किसान को उसकी फसल के उत्पादन के लागत मूल्य के साथ लाभ को जोड़ना भी जरूरी है। किसान को 1966 के बाद हर कृषि की जरूरत के लिए बाजार पर निर्भरता थी, लेकिन उन्हें कोई लाभकारी मूल्य नहीं मिलता था, जिसके कारण किसानों की आय कम होती चली गई।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि 4 जुलाई 2018 के बाद यदि लागत 1200 रुपये है तो मूल्य 1800 रुपये देंगे। सरकार ने फसलों के मूल्य निर्धारण के लिए ऐसा फार्मूला लागू किया है कि आगे आने वाले समय में भी इसको किसानों के हित में हर हाल में लागू किया जाएगा। किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष अजीत चहल ने कृषि मंत्री को धान की थैली भेंटकर उनका अभिनंदन किया। सुरेश संधू ने कृषि मंत्री को चांदी का मुकुट भेंट किया तो उन्होंने इसे लौटाते हुए किसी मंदिर में दान देने को बोल दिया।