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गोमुखासन करके बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता: आर्य

योगाचार्य जोरा सिंह आर्य ने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए शरीर में इम्युनिटी बढ़ाना जरूरी है। जिसकी इम्युनिटी मजबूत होगी उसे कोरोना से कोई खतरा नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 06:09 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:09 AM (IST)
गोमुखासन करके बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता: आर्य
गोमुखासन करके बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता: आर्य

जागरण संवाददाता, जींद : योगाचार्य जोरा सिंह आर्य ने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए शरीर में इम्युनिटी बढ़ाना जरूरी है। जिसकी इम्युनिटी मजबूत होगी, उसे कोरोना से कोई खतरा नहीं है। मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्ति को कोरोना हो भी जाता है तो वह जल्द ठीक हो जाएगा। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए योग से बढि़या दूसरा कोई रास्ता नहीं है। अष्टांग योग का तीसरा भाग आसन करके हम कोरोना से अच्छी तरह बचाव कर सकते हैं। इसके लिए प्रदूषण रहित स्थान का चयन करना चाहिए। नदी के किनारे, पार्क या खुले मकान में आसन कर सकते हैं।

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फेफड़ों को सक्रिय करने के लिए गोमुखासन बहुत बढि़या आसन है। इससे फेफड़े अच्छी तरह पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन लेकर सुचारु रूप से काम करते रहते हैं। सांस संबंधी विकारों दमा, नजला, जुकाम, खांसी में भी यह आसन फायदा पहुंचता है। चरम संबंधी विकारों और सायटिक संबंधी रोगों के लिए भी यह आसन बहुत ही ज्यादा लाभदायक है। साथ ही सभी बीमारियों की जड़ कब्ज को दूर करने में भी गोमुखासन उपयुक्त है। रोज यह आसन करने से कमर दर्द, कंधों के दर्द, गर्दन के दर्द इस आसन से बहुत शीघ्र ठीक हो जाते हैं। शुगर यानि मधुमेह जैसी बीमारी कुछ समय के अभ्यास से जल्दी खत्म हो जाती है। इसलिए नियमित रूप से इस आसन को करें तो हमारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा और कोरोना से बचे रहेंगे।

गोमुखासन की विधि

इस आसन में दोनों पैरों को सीधा करते हुए एक पैर को मोड़कर कूल्हे के पास ऐड़ी रखें। दूसरे पैर को मोड़ते हुए पहले पैर के घुटने के ऊपर घुटना रखते हुए पहले पैर की तरह ही पैर के पंजों को कूल्हे के पास लाकर जमीन पर रखें। कमर व गर्दन सीधी रखते हुए जो पैर हमारा ऊपर है, उसके विपरीत हाथ को सिर की ओर मोड़ते हुए कोहनी को चोटी के पास ले जाएं। दूसरे हाथ को कमर के ऊपर से घुमाते हुए कोहनी को मोड़कर दूसरे हाथ की उंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें। अगर उंगली नहीं पकड़ी जा सके तो जबर्दस्ती न करें। जबर्दस्ती प्रयास करने से कंधों में दर्द हो सकता है। इसके बाद नाक के जरिए सांस को अंदर भरते हुए कुछ समय के लिए श्वास को रोक लें। इसके साथ मूलबंध अवश्य लगाएं। ध्यान रहे कि हम अपना ध्यान सामने किसी एक चीज पर लगाकर रखें। जितनी देर संभव हो सके, उतनी देर श्वास को रोक कर धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें। अब ऊपर वाले हाथ को सीधा करते हुए पैरों के ऊपर ले आएं। कमर वाले हाथ को घुमाते हुए पैरों की ओर से आएं। जो पैर ऊपर है, उसको हाथों से सीधा कर लें। इसी तरह से दूसरे पैर को भी सीधा कर लें। कुछ देर के लिए विश्राम करें व गहरी लंबी सांस लें।


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