शहीद पवन के पिता एक टांग पर खड़े हुए तो मेजर विनय के पिता का दर्द भी जुबां पर आया
राजकीय पीजी कॉलेज में शहीद परिवार सम्मान समारोह में देशभक्ति के गीतों के बजाय हरियाणवी गीत पेश करने से शहीदों के परिजनों की भावनाएं आहत हुई।
जागरण संवाददाता, जींद : राजकीय पीजी कॉलेज में शहीद परिवार सम्मान समारोह में देशभक्ति के गानों की बजाय हरियाणवी गानों पर लटके-झटके शुरू हुए तो शहीदों के परिजनों की भावनाएं आहत हो गईं। शहीद कैप्टन पवन कुमार के पिता राजबीर खटकड़ तड़क-भड़क के गानों से खफा होकर एक टांग पर खड़े हो गए तो शहीद मेजर विनय चौधरी के पिता ने भी नेताओं और अफसरों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली।
भारतीय नौजवान सभा की ओर से राजकीय महाविद्यालय के खेल ग्राउंड में शहीद परिवार सम्मान समारोह में हरियाणवी गायकों अन्नू कादियान, अजय हुड्डा और गगन हरियाणवी के आने की सूचना मिलते ही पूरा पंडाल कॉलेज के लड़के-लड़कियों से खचाखच भर गया। इन गायकों ने अपने गानों से युवाओं का जमकर मनोरंजन किया। इससे शहीदों के परिजनों की भावनाओं को ठेस पहुंच गई और उनका दर्द जुबां पर आ ही गया। पूरे कार्यक्रम का फोकस शहीदों की बजाय हरियाणवी लटकों-झटकों पर रहा। देशभक्ति के गानों की बजाय हरियाणवी लटकों-झटकों से दुखी होकर शहीद मेजर विनय चौधरी के पिता प्रो. जिले ¨सह ने दर्द जाहिर करते हुए कहा कि जो प्रस्तुतियां मंच पर दी जा रही हैं और उन पर जिस तरह की प्रतिक्रिया युवक-युवतियों से आ रही है, वह शहीदों का सम्मान नहीं कहा जा सकता। उन्होंने यहां तक कहा कि नेताओं और अफसरशाही की शहीदों के प्रति कोई संवेदना नहीं है। इन लोगों का वश चले तो यह देश को बेच दें। वह यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे शहीद मेजर विनय चौधरी के नाम पर जींद के राजकीय पीजी कालेज का नामकरण करने की घोषणा 18 साल पहले हुई थी। आज तक इस पर अमल नहीं हुआ।
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.और शहीद कैप्टन पवन कुमार के पिता राजबीर खटकड़ खड़े हो गए एक टांग पर
जम्मू-कश्मीर के पंपोर के पास 21 फरवरी 2016 को आतंकवादियों से लोहा लेते हुए जींद के बधाना गांव के कैप्टन पवन कुमार के पिता राजबीर खटकड़ को भी इस कार्यक्रम में इस तरह के भड़कते हुए गाने और उन पर सामने से आ रही भीड़ की प्रतिक्रिया जब बर्दाश्त नहीं हुई तो वह एक टांग पर खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि भीड़ में शामिल युवा शक्ति इन गानों पर जिस तरह का जुनून दिखा रही है, वह जुनून देशभक्ति वाला कतई नहीं है। देश को आज उनके बेटे कैप्टन पवन कुमार जैसे उस जुनून की जरूरत है, जो देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए युवा शक्ति में होना चाहिए। जब उनके बेटे पवन कुमार का एनडीए में चयन हुआ था, तब पवन कुमार का वजन 86 किलो था। सेना में अफसर भर्ती होकर देश की रक्षा का जुनून ही था कि पवन कुमार ने अपना वजन 22 किलो कम कर कमीशंड अफसर के रूप में सेना को ज्वाइन किया और जब उसने देश के लिए शहादत दी तो पवन कुमार को छुट्टियां मिली होने के बावजूद छुट्टियां रद करवाकर खुद को देश के कुर्बान कर दिया।