गोहाना रोड पर दो कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड, लघु सचिवालय व कोर्ट, जाम में रेंगते हैं वाहन
शहर की यातायात व्यवस्था पटरी से उतर गई है। गोहाना रोड पर दो कॉलेज अस्पताल बस स्टैंड लघु सचिवालय व कोर्ट होने के कारण सुबह आठ बजे से तीन बजे तक एक किलोमीटर लंबा जाम लगा रहता है और वाहन सड़क पर रेंगते रहते हैं। अस्पताल से गंभीर मरीजों को लेकर जाने वाली एंबुलेंस भी अक्सर जाम की फंसी रहती है। गोहाना रोड पर जाम से निपटने के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई प्लान नहीं बताया है और जो योजनाएं बनाई थी वह कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : शहर की यातायात व्यवस्था पटरी से उतर गई है। गोहाना रोड पर दो कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड लघु सचिवालय व कोर्ट होने के कारण सुबह आठ बजे से तीन बजे तक एक किलोमीटर लंबा जाम लगा रहता है और वाहन सड़क पर रेंगते रहते हैं। अस्पताल से गंभीर मरीजों को लेकर जाने वाली एंबुलेंस भी अक्सर जाम की फंसी रहती है। गोहाना रोड पर जाम से निपटने के लिए प्रशासन ने अभी तक कोई प्लान नहीं बताया है और जो योजनाएं बनाई थी वह कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। मिनी बाईपास शुरू होने से पहले प्रशासन द्वारा जाम से राहत मिलने का दावा किया जाता था, लेकिन जब से मिनी बाईपास शुरू हुआ तब से इस मार्ग पर निकलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ गई और गोहाना रोड पर जाम की समस्या बढ़ गई है। ऑटो ने बिगाड़ी शहर की यातायात व्यवस्था
शहर में यातायात बिगड़ने का मुख्य कारण ऑटो भी है। ऑटो की संख्या शहर में लगातार बढ़ रही है। अधिकतर ऑटो चालकों के पास पूरे कागजात भी नहीं है। उसके बावजूद शहर में ऑटो चल रहे हैं और प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा है। राजकीय कॉलेज, राजकीय महिला कॉलेज, हिदू कन्या कॉलेज, बस स्टैंड, पटियाला चौक पर ऑटो का जमघट लगा रहता है, जो जाम को बढ़ावा देता है। कोई स्टैंड निर्धारित न होने के कारण जगह-जगह ऑटो रुकते हैं, जो जाम को बढ़ावा दे रहे हैं। नहीं खत्म हुआ अतिक्रमण
शहर को अतिक्रमण ने अपनी जकड़ में लिया हुआ है। एक साल पहले अतिक्रमण को खत्म करने के लिए व्यापक स्तर पर शहर में अभियान चलाया और रात के समय शहर में किए गए अतिक्रमण को हटाया। लेकिन प्रशासनिक ढि़लाई के कारण फिर से शहर में अतिक्रमण ने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। इस मामले में अब तक प्रशासन दोबारा कार्रवाई शुरू नहीं कर सका है। दुकानदारों ने दुकानों के आगे पांच से सात फुट तक अतिक्रमण किया हुआ है, जिससे जाम लगा रहता है। इसके लिए जिला प्रशासन ने दुकानों के आगे पीली पट्टी खींचने का निर्णय लिया था ताकि दुकानदार उससे आगे अपना सामान न निकाले सके, लेकिन यह रेखा भी अब तक नहीं खींची गई है। यातायात पुलिस के पास नहीं पर्याप्त संसाधन
शहर में वाहनों के बढ़ रहे लोड से निपटने के लिए यातायात पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है। यातायात पुलिस में केवल 12 कर्मचारी ही नियमित है और लगभग 35 होम गार्ड जवान लगाए गए हैं। यातायात पुलिस कर्मियों को शहर के चौकों पर ड्यूटी लगाई गई, जिनको दुपहिया वाहन के चालान काटने की जिम्मेवारी दी गई है। जबकि शहर में लगे जाम को खुलवाने का जिम्मा केवल होम गार्ड के जवानों के सहारे ही चल रहा है। शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए करीब 150 कर्मचारियों की जरूरत है। प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा
बस स्टैंड के दोनों तरफ अस्पताल व रानी तालाब की तरफ आधा किलोमीटर तक जाम की स्थिति रहने से इस एरिया में अब प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लग गया है। यहां सड़क किनारे दुकानदारों का कहना है कि अब आंखों में जलन होने लग जाती है। दिनभर में वाहन रेंगकर चलते रहते हैं। दुकानदार संदीप सेतिया ने कहा कि ट्रैफिक के धुएं से कपड़े भी शाम तक कपड़े भी काले हो जाते हैं। जाम से निपटने के लिए हर चौहराये पर एक पुलिस कर्मी के साथ होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है। वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण जाम की स्थिति रहती है। शहर के चारों तरफ सड़कों का निर्माण कार्य शुरू होने के कारण भी गोहाना रोड के अलावा शहर के दूसरे मार्गों पर वाहनों की संख्या बढ़ी है। लंबा लंबा न लगे इसके लिए यातायात पुलिस का पूरा प्रयास रहता है।
राजाराम, इंचार्ज, यातायात पुलिस शहर