ट्रैफिक पुलिस और नप ने हटाया अतिक्रमण, रेहड़ी वाले रहे निशाने पर
देवीलाल चौक से रोहतक रोड बाईपास तक चला अभियान जागरण संवाददाता जींद शहर में दुकानद
देवीलाल चौक से रोहतक रोड बाईपास तक चला अभियान
जागरण संवाददाता, जींद : शहर में दुकानदारों ने दुकानों के आगे सामान रख कर सड़क तक कब्जा किया हुआ है। जिससे शहर में जाम की स्थिति रहती है। वीरवार को सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में इसका मुद्दा उठा। डीसी डा. मनोज कुमार और एसपी नरेंद्र बिजरानियां ने ट्रैफिक पुलिस और नगर परिषद अधिकारियों को शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सड़क किनारे व दुकानों के आगे से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। जिसके बाद नगर परिषद और ट्रैफिक पुलिस ने अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया।
ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज शमशेर सिंह के साथ नगर परिषद से जेई हितेंद्र राठी, मुख्य स्वच्छता निरीक्षक, जेई जय अभियान में शामिल रहे। देवीलाल चौक से रोहतक रोड बाईपास तक चले अभियान के दौरान रेलवे स्टेशन के पास लगी रेहड़ियों को हटाया गया। यहां रखे तख्त और सब्जी की खाली ट्रे नगर परिषद द्वारा जब्त की गई। नगर परिषद और ट्रैफिक पुलिस की टीम को देखकर दुकानदारों ने बाहर रखा सामान उठाकर दुकानों के अंदर रख लिया। जिन दुकानदारों ने सामान नहीं उठाया, उनका सामान जब्त किया गया। साथ ही दोबारा बाहर सामान रखकर अतिक्रमण करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
शहर में गोहाना रोड, सफीदों रोड, पटियाला चौक समेत ज्यादातर मुख्य मार्गों पर दुकानदारों ने दुकानों के बाहर सामान रखा हुआ है। काफी दुकानदार अपनी दुकान के आगे सड़क पर रेहड़ी भी लगवाते हैं, जिसकी एवज में रेहड़ी वालों से किराया भी वसूला जाता है। लेकिन वीरवार को चले अभियान में प्रशासन के निशाने पर सिटी रेलवे स्टेशन के पास रेहड़ी लगाने वाले रहे। जबकि सबसे ज्यादा अतिक्रमण दुकानों के आगे सड़क पर रखे सामान से हो रहा है।
नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि देवीलाल चौक के पास रेहड़ियों की वजह से वाहन चालकों व पैदल चलने वालों को दिक्कत हो रही थी। इसलिए रेहड़ियां हटवाई गई। वहीं रोहतक रोड बाईपास तक दुकानों के आगे से सामान हटवाया गया। शहर में अतिक्रमण के खिलाफ लगातार अभियान चलेगा।
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पार्षदों ने भी उठाया था मुद्दा
पिछले दिनों नगर परिषद हाउस की बैठक में पार्षदों ने भी शहर में बाजार व मुख्य मार्गों पर दुकानों के बाहर अतिक्रमण का मामला उठाया था। लेकिन तब अधिकारियों ने खुलकर कोई जवाब नहीं दिया था। जिसके कारण ये मामला ठंडा पड़ गया था।