जिला परिषद प्रधान पदमा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर तीन को फैसला
जिला परिषद प्रधान पदमा ¨सगला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वो¨टग के लिए उपायुक्त अमित खत्री ने नई तारीख दे दी है। अब डीआरडीए के कांफ्रेंस रूम में 3 अक्टूबर को मतदान होगा। इससे पहले 4 सितंबर को मतदान के लिए बुलाई मी¨टग प्रशासन ने स्थगित कर दी थी।
जागरण संवाददाता, जींद : जिला परिषद प्रधान पदमा ¨सगला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वो¨टग के लिए उपायुक्त अमित खत्री ने नई तारीख दे दी है। अब डीआरडीए के कांफ्रेंस रूम में 3 अक्टूबर को मतदान होगा। इससे पहले 4 सितंबर को मतदान के लिए बुलाई मी¨टग प्रशासन ने स्थगित कर दी थी। प्रधान पदमा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जाने की चेतावनी दी है।
नगराधीश सत्यवान ¨सह मान ने बताया कि डीआरडीए कांफ्रेंस रूम में सुबह 11 बजे बैठक बुलाई गई है, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कराया जाएगा। इस बैठक की अध्यक्षता डीसी अमित खत्री करेंगे। नगराधीश ने बताया कि जिला परिषद के 26 निर्वाचित सदस्यों में से 20 सदस्यों ने 16 अगस्त को जिला परिषद की प्रधान पदमा ¨सगला के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में शपथ पत्र दिए थे। इसके लिए 4 सितंबर को बुलाई गई बैठक डीसी के चंडीगढ़ जाने के कारण स्थगित करनी पड़ी थी। नगराधीश ने कहा कि सभी सदस्यों को मी¨टग की सूचना भेज दी गई थी। बैठक में सभी सदस्यों को जिला परिषद द्वारा जारी पहचान पत्र साथ लाना होगा, ताकि उनकी पहचान हो सके। पदमा ¨सगला को अपनी कुर्सी बचाने के लिए 26 में से आठ पार्षदों की जरूरत है। 4 अक्टूबर को मी¨टग स्थगित होने के बाद पदमा ने दावा किया था कि उन्हें खुद के अलावा आठ पार्षदों का समर्थन हासिल है, जबकि विरोधी गुट को उन्हें हटाने के लिए 18 पार्षदों की जरूरत है। पिछले साल भी पदमा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक वोट से गिर गया था।
प्रधान बोलीं : दोबारा मी¨टग बुलाना, हाईकोर्ट जाऊंगी
जिला परिषद प्रधान पदमा ¨सगला ने कहा कि वह इस मामले में हाइकोर्ट गई थीं। कोर्ट ने डीसी से तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि 4 अक्टूबर को साढ़े 11 बजे तक कोई सदस्य वोट डालने नहीं आया, इसलिए मी¨टग को रद माना जाए न कि स्थगित। प्रशासन ने भी दोपहर डेढ़ बजे के बाद मी¨टग स्थगित करने का नोटिस चस्पा किया है। उनके पास सुबह दस से साढ़े 11 बजे तक की पूरी रिकॉर्डिग है। कोर्ट ने इस मामले में एक नवंबर को फैसला देने की बात कही थी, लेकिन अब प्रशासन ने गलत तरीके से 3 अक्टूबर को मी¨टग बुलाई है। वह इसके खिलाफ फिर हाईकोर्ट जाएंगी। विरोधी गुट के पास पर्याप्त पार्षद नहीं जुट पाए थे, इसलिए केंद्रीय मंत्री के दबाव में प्रशासन ने मी¨टग को स्थगित किया था।