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बारिश से मंडी में भीगी हजारों क्विंटल धान, खेतों में भी फसल हो रही खराब, गेहूं की बिजाई में भी देरी होने से नुकसान

लगातार दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बेमौसमी बारिश ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। बुधवार रात को हुई बारिश से मंडियों में आई हजारों क्विंटल धान भीग गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 07:10 AM (IST)
बारिश से मंडी में भीगी हजारों क्विंटल धान, खेतों में भी फसल हो रही खराब, गेहूं की बिजाई में भी देरी होने से नुकसान
बारिश से मंडी में भीगी हजारों क्विंटल धान, खेतों में भी फसल हो रही खराब, गेहूं की बिजाई में भी देरी होने से नुकसान

जागरण संवाददाता, जींद : लगातार दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बेमौसमी बारिश ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। बुधवार रात को हुई बारिश से मंडियों में आई हजारों क्विंटल धान भीग गई। जींद अनाज मंडी में फड़ से नीचे पड़ी धान की ढेरियों के नीचे पानी भर गया। भीगने से धान की क्वालिटी पर असर पड़ेगा, जिससे रेट भी प्रभावित होंगे। बुधवार को दिन में हल्की बूंदाबांदी हुई। लेकिन देर सायं रुक-रुक कर तेज बारिश होने लगी। जिसका अनुमान नहीं होने के कारण काफी किसानों ने मंडियों में धान की बोरियों पर तिरपाल भी नहीं डाले हुए थे। जिससे हजारों क्विंटल धान भीग गया। जींद अनाज मंडी में शेड के नीचे भी काफी धान की ढेरियां लगी हुई हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर ढेरियां आढ़तियों की है। शेड पर आढ़तियों का कब्जा होने से किसानों को खुले में धान डालनी पड़ रही है। बारिश की वजह से बृहस्पतिवार को मंडी में धान की खरीद के लिए बोली भी 12 बजे के बाद शुरू हुई और कई ढेरियां नमी ज्यादा होने के कारण नहीं बिक सकी। बारिश से तापमान में गिरावट आई है। बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान 22 व न्यूनतम तापमान 15 डिग्री रहा। आगामी दिनों में तापमान में और गिरावट आने की संभावना है।

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बुधवार-बृहस्पतिवार को हुई बारिश

जींद : 10

नरवाना : 11

सफीदों : 7

उचाना : 12

जुलाना : 9

पिल्लूखेड़ा : 7

खेतों में भी नुकसान

मंडियों के साथ-साथ खेतों में भी फसल खराब होने की चिता किसानों को सता रही है। इस बार धान कटाई कटाई का सीजन काफी लेट है। काफी संख्या में किसानों का धान कटाई व झड़ाई का काम बाकी है। वहीं धान के रेट कम होने से भी बहुत से किसानों ने अपने खेत में ही फसल का स्टॉक किया हुआ है। लगातार बारिश का मौसम रहने से स्टॉक की हुई धान में नमी बढ़ने से अंकुरित होने का खतरा रहता है।

अक्टूबर-नवंबर में फसल कटाई व बिजाई का होता समय

अक्टूबर के अंत व नवंबर में खरीफ फसल की कटाई तथा रबी की फसल गेहूं व अन्य फसलों की बिजाई का समय होता है। इस दौरान बारिश की संभावनाएं भी कम होती हैं। इस दौरान होने वाली बेमौसमी बारिश से फसल कटाई व बिजाई का काम प्रभावित होता है। पिछले साल भी नवंबर में जींद व पिल्लूखेड़ा में हल्की बारिश हुई थी।

नवंबर में कब कितनी बारिश हुई

--साल 2012 में जींद में 12, जुलाना में आठ व उचाना में आठ व उचाना में एक एमएम बारिश हुई।

--साल 2015 में जींद में 16, नरवाना में पांच, सफीदों में छह एमएम बारिश हुई।

--साल 2017 में जींद में छह, जुलाना में दो व उचाना में दो एमएम बारिश हुई।

--साल 2018 में जींद में तीन व पिल्लूखेड़ा में दो एमएम बारिश हुई।

कपास की फसल में नुकसान

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. यशपाल मलिक ने बताया कि करीब 15 हजार एकड़ में कपास की फसल खड़ी है। चुगाई नहीं होने से नुकसान हो रहा है। रोटावेटर से जो पिछले दो-तीन में बिजाई की है, उस गेहूं में नुकसान हो सकता है। सब्जियों में भी फायदा है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने से अगले एक-दो दिन में धुंध शुरू होने की उम्मीद है। उचाना के आसपास के एरिया में हल्की ओलावृष्टि हुई है, लेकिन उसका कोई नुकसान नहीं है।


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