Move to Jagran APP

पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं जुलाना के 35 गांव

जुलाना खंड में काफी सालों से पानी की दोहरी मार पड़ रही है। बरसात के दिनों में जलभराव से हर वर्ष हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:35 AM (IST)
पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं जुलाना के 35 गांव
पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं जुलाना के 35 गांव

संवाद सूत्र, जुलाना : जुलाना खंड में काफी सालों से पानी की दोहरी मार पड़ रही है। बरसात के दिनों में जलभराव से हर वर्ष हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो जाती है। दूसरी ओर 35 गांवों में आज भी पेयजल की किल्लत बरकरार बनी हुई है। पानी की बदहाली का आलम यह है कि महिलाओं को कई किलोमीटर से पैदल सिर पर ही पानी लाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जो पानी गांवों में जलघर की सप्लाई द्वारा दिया जाता है वह किसी भी लिहाज से पीने लायक नही होता। भूमिगत पानी इतना खराब है कि उसे प्रयोग करना नामुमकिन है। ग्रामीणों को 15 से 20 रुपये प्रति कैंपर के हिसाब से पानी लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है। 3 गांवों के ग्रामीणों ने तो पेयजल की किल्लत को पार पा लिया लेकिन 35 गांव आज भी पेयजल की किल्लत के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। प्रशासन और सरकार द्वारा कोई भी कदम पेयजल के लिए नही उठाया जा रहा है। जुलाना क्षेत्र के गांव शामलों कलां में ग्रामीणों ने नहर के पास से ट्यूबवेल लगाकर पाइप लाइन द्वारा गांव तक पानी को पहुंचाया और गांव के पास बड़ा वाटर कुलर लगाया गया है जिससे ग्रामीणों को अब ठंडा पानी मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर गांव बुढ़ा खेड़ा लाठर गांव में ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर 4000 लीटर का आरओ प्लांट लगाकर पानी की किल्लत को दूर किया। गांव के मंदिर में यह प्लांट लगाया गया है जहां से सभी ग्रामीण महिलाएं पानी आसानी से भर कर ले जा रही हैं। तीसरे गांव किलाजफरगढ़ के ग्रामीणों ने भी पेयजल की किल्लत को दूर किया है। हालांकि गांव में सांसद रमेश कौशिक ने 5 साल पहले आरओ प्लांट बनवाया था लेकिन उसमें पेयजल के लिए कोई भी लाइन नही जोड़ी गई। जिससे लाखों की लागत से बना आरओ प्लांट अब धूल फांक रहा है। अब ग्रामीणों ने गांव में तीन जगह वाटर टैंक लगाए गए हैं जहां से महिलाएं पानी भर कर ले जाती हैं। इससे पहले गांव की महिलाओं को जान जोखिम में डालकर पानी सिर पर लाती थी जिससे महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अब गांव की महिलाओं को घर के पास ही पानी मिल जाता है।

prime article banner

वर्जन

जैसे बुढ़ा खेड़ा गांव के ग्रामीणों ने भारत माता मिशन के तहत पेयजल की किल्लत को दूर किया है उसी तरह अन्य गांव भी अगर पेयजल किल्लत को दूर करने के लिए कदम उठाएं तो गांव से पेयजल की किल्लत को चलता किया जा सकता है। भारत माता मिशन के वॉलिंटियर गांवों से पेयजल की किल्लत को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जिसमें ग्रामीणों को भी सहयोग देना होगा।

-महंत संजीव नाथ योगी, वालंटियर भारत माता मिशन बुढ़ा खेड़ा लाठर।

वर्जन

जुलाना में पिछले काफी सालों से पेयजल की किल्लत बनी हुई है। जुलाना का प्रतिनिधित्व करते हुए विधान सभा में पेयजल का मुद्दा उठाया गया था। जल्द ही पेयजल की किल्लत को दूर करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

---अमरजीत ढांडा, विधायक जुलाना।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.