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तीसरे यूथ फेस्टिवल का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आगाज

छोटू राम किसान कॉलेज में बृहस्पतिवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के तीसरे इंटर जोनल यूथ फेस्टिवल की शुरुआत हुई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 09:38 AM (IST)
तीसरे यूथ फेस्टिवल का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आगाज
तीसरे यूथ फेस्टिवल का रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आगाज

जागरण संवाददाता, जींद : छोटू राम किसान कॉलेज में बृहस्पतिवार को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के तीसरे इंटर जोनल यूथ फेस्टिवल की शुरुआत हुई। फेस्टिवल में जिले के सभी डिग्री कॉलेजों व सीआरएसयू से संबंधित बीएड कॉलेजों की टीमें हिस्सा ले रही हैं। पहले दिन कोरियोग्राफी में तीन टीमें, सोलो डांस में महिलाओं की 12 टीमों ने अपनी प्रस्तुति दी। ग्रुप डांस में चार टीमों ने, क्लासिकल सोलो डांस सोलो में चार टीमों ने, रसिया ग्रुप डांस में पांच टीमों ने, सोलो डांस में पुरुषों की छह टीमों ने, हरियाणवी आर्केस्ट्रा में चार टीमों ने व ग्रुप सोंग में छह टीमों ने प्रस्तुति दी। फेस्टिवल का शुभारंभ मुख्यातिथि प्रो. राजबीर सिंह सोलंकी ने किया। इस दौरान सीआरएसयू के रजिस्ट्रार प्रो. राजेश पूनिया, युवा व सांस्कृतिक विभाग सीआरएसयू की डायरेक्टर डॉ. ज्योति श्योराण भी मौजूद रही। वीसी ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को सीख देते हुए कहा कि आज के युग में राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक, संस्कृति और सकारात्मक ढंग से मनोरंजक गतिविधियों की उपयोगिता है। इस फेस्टिवल में अनेक विधाएं रंग बिखेर रही हैं जोकि अपने-अपने क्षेत्र में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगी। विद्यार्थियों का संपूर्ण विकास ही विश्वविद्यालय का लक्ष्य है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियां भी शामिल हैं। रजिस्ट्रार प्रो. पूनिया ने इन विधाओं की कलात्मक, प्रदर्शन और परिणामों को दिमाग में उत्पन्न होने वाली किरणों की प्रवृत्ति की फिजिक्स को मनोवृत्ति एवं सोच के साथ संबंध को साधारण ढंग से वर्णित किया। प्राचार्य डॉ. शमशेर सिंह मलिक ने कहा कि विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखना भी एक उपलब्धि है। विद्यार्थियों ने कलाओं की अभिव्यक्ति से सिद्ध कर दिया है कि हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने का जज्बा रखते हैं। डॉ. ज्योति श्योराण ने पहले दिन हुई सभी कलाओं के बारे में जानकारी देते हुए संस्कृति को संस्कार के साथ संजोए रखने की विरासत को उच्च दर्जे की धरोहर की संज्ञा दी।

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