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शहर में सार्वजनिक शौचालयों पर लटके हैं ताले, सफाई की नहीं कोई व्यवस्था

शहर में बनाए गए सार्वजनिक शौचालय खस्ता हालत में हैं। शौचालयों में साफ-सफाई और पानी की कोई व्यवस्था नगर परिषद ने नहीं की है। कई स्थानों पर शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। नगर परिषद ने निर्माण कर शौचालयों को लावारिस छोड़ दिया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 01:57 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 01:57 AM (IST)
शहर में सार्वजनिक शौचालयों पर लटके हैं ताले, सफाई की नहीं कोई व्यवस्था
शहर में सार्वजनिक शौचालयों पर लटके हैं ताले, सफाई की नहीं कोई व्यवस्था

जागरण संवाददाता, जींद : शहर में बनाए गए सार्वजनिक शौचालय खस्ता हालत में हैं। शौचालयों में साफ-सफाई और पानी की कोई व्यवस्था नगर परिषद ने नहीं की है। कई स्थानों पर शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। नगर परिषद ने निर्माण कर शौचालयों को लावारिस छोड़ दिया है।

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पिछले साल ओडीएफ (खुले में शौचमुक्त) करने के लिए शहर में सार्वजनिक स्थानों व बाहरी कॉलोनियों, जहां लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं। वहां नगरपरिषद ने 19 ब्लॉक का निर्माण कर 107 सीटें रखवाई थी। इन शौचालयों की रूटिन में सफाई नहीं हो रही है, जिससे ये शौचालय प्रयोग के लायक नहीं हैं। कई स्थानों पर जहां नगरपरिषद द्वारा पानी के लगाई गई टोंटियां गायब हैं। वहीं कुछ जगहों पर बने शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। आसपास के लोगों के अनुसार उस क्षेत्र में कभी कोई वीआइपी का आना होता है, तो नगरपरिषद के कर्मचारी शौचालयों की सफाई कर देते हैं, लेकिन बाकी समय सब राम भरोसे है। मीट मार्केट के पास बने सार्वजनिक शौचालय पूरी कहानी बयां कर रहे हैं कि नगर परिषद सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के प्रति कितनी गंभीर है। यहां बने ब्लॉक में पांच सीट रखी गई हैं। जिनमें से दो शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। बाकी तीन में गंदगी का आलम ये है कि इसके नजदीक से भी व्यक्ति गुजर नहीं सकता। प्रयोग की तो दूर की बात है। पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

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स्लम बस्तियों में बनवाए थे शौचालय

करीब पौने लाख आबादी वाले जींद शहर में पॉश इलाकों व पुरानी कॉलोनियों में ज्यादातर घरों में शौचालय हैं, जबकि बाहरी कॉलोनियों व स्लम बस्तियों में शौचालय नहीं हैं। इन स्थानों पर नगरपरिषद ने सार्वजनिक शौचालय बनवाए थे। वार्ड 10 के पार्षद ¨रकू नागर ने बताया कि उनके वार्ड में कुछ स्थानों पर सार्वजनिक शौचालयों की जरूरत है, लेकिन नगरपरिषद ने नहीं बनाए। वहीं नहर के पास बने सार्वजनिक शौचालयों की हालत खस्ता है। इसी तरह स्लम बस्तियों में बने शौचालयों की तरफ भी नगरपरिषद का ध्यान नहीं है।

खुद कराते सफाई

पालिका बाजार के पीछे वाला और तांगा चौक में बने सार्वजनिक शौचालयों की सफाई व्यापार मंडल के सहयोग से सफाई कराई जाती है। ये शौचालय नगरपरिषद के भरोसे नहीं हैं। वहीं पुराना बस स्टैंड के सार्वजनिक शौचालय की सफाई भी दुकानदार कराते हैं। पुरानी अनाज मंडी व अन्य कई स्थानों पर बने शौचालयों की हालत खस्ता है।

सुनील वशिष्ठ, अन्ना टीम सदस्य

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शहर ओडीएफ हो चुका है और करीब 107 शौचालय पिछले साल शहर में बनाए गए थे। नगरपरिषद इन शौचालयों की सफाई कराती है। शौचालयों पर ताले लगे होने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसका पता कराया जाएगा। अगर कहीं समस्या है, तो संबंधित कर्मचारी को बोल कर वहां की सफाई कराई जाएगी।

अशोक सैनी, सफाई निरीक्षक, नगर परिषद, जींद।


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