पुरानी एजेंसी का पूरा भुगतान हुआ नहीं, सालभर में दोबारा शुरू हुआ प्रॉपर्टी सर्वे
नगर परिषद ने पिछले साल खत्म नगर परिषद ने पिछले साल खत्म हुए सर्वे के पूरे बिल बांटे भी नहीं थे। प्रदेश सरकार के निर्देश पर नए सिरे से सर्वे शुरू करा दिया गया। इससे शहरवासी असमंजस में हैं, वहीं नगर परिषद अधिकारियों की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद ने पिछले साल खत्म हुए सर्वे के पूरे बिल बांटे भी नहीं थे। प्रदेश सरकार के निर्देश पर नए सिरे से सर्वे शुरू करा दिया गया। इससे शहरवासी असमंजस में हैं, वहीं नगर परिषद अधिकारियों की भी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। अभी पिछला सर्वे करने वाली एजेंसी का पूरा भुगतान भी नहीं हुआ है, अगर नए सर्वे की पेमेंट का भुगतान करना पड़ता है तो इससे नगर परिषद पर और आर्थिक बोझ पड़ेगा।
दावे हो गए फेल
अगस्त 2017 में पंचकूला की एक प्राइवेट कंपनी शहर में प्रॉपर्टी का जीआइएस मै¨पग सर्वे शुरू किया था। उस समय नगर परिषद अधिकारियों ने दावा किया था कि जींद प्रदेश में पहली ऐसी नगर परिषद है, जहां पर प्रॉपर्टी का सर्वे जीआइएस मै¨पग सिस्टम से हो रहा है। इससे शहरवासियों को काफी फायदा होगा और वे ऑनलाइन ही अपनी प्रॉपर्टी की लोकेशन, कितना प्रॉपर्टी टैक्स आदि का ब्यौरा ले सकेंगे। एजेंसी ने करीब पांच-छह माह पहले सर्वे पूरा कर दिया।
बदल गए थे मकान नंबर
पुराने सर्वे के अनुसार शहर में घरेलू, व्यवसायिक व गैर व्यवसायिक यूनिट 54 हजार के लगभग थी, जो नए सर्वे के बाद बढ़ कर 80 हजार के पार पहुंच गई। सर्वे के बाद लोगों के मकान नंबर भी बदल गए। नए प्रॉपर्टी नंबर के आधार पर नगर परिषद ने बिल भी बांटने शुरू कर दिए, लेकिन सरकार द्वारा नए सिरे से सर्वे के आदेश आ गए। जिसके चलते बिल बांटने का काम बीच में रोकना पड़ा।
30 लाख पुरानी एजेंसी का भुगतान बाकी
एजेंसी को नगर परिषद ने प्रति यूनिट लगभग 64 रुपये के हिसाब से सर्वे का ठेका दिया था। शहर में यूनिट 80 हजार से ज्यादा हैं, जिसके अनुसार 50 लाख रुपये के लगभग राशि बनती है। नगर परिषद ने ठेकेदार को 20 लाख रुपये दिए हैं और 30 लाख रुपये के लगभग भुगतान करना बाकी है।
सर्वे पूरा किया, पेमेंट रोकना गलत : एजेंसी
एजेंसी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि बकाया पेमेंट के भुगतान के लिए वे कई बार नगर परिषद के अधिकारियों से मिल चुके हैं। वे अपना सर्वे पूरा करके नगर परिषद को सौंप चुके हैं। इसके बावजूद नगर परिषद ने उनकी पेमेंट रोकी हुई है, जो कि गलत है। एजेंसी अधिकारियों से संपर्क में है।
सरकार के स्तर पर हो रहा सर्वे
नए सिरे से सर्वे सरकार के स्तर पर हो रहा है। इससे पहले सर्वे करने वाली एजेंसी ने पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया है। उसकी कुछ पेमेंट रोकी हुई है। फिलहाल जो सर्वे चल रहा है, उसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा या नगर परिषद को करना है। इसके बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
दीपक गोयल, ईओ, नगर परिषद, जींद
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आमजन होगा प्रभावित
जब भी प्रॉपर्टी सर्वे होता है, उससे प्रॉपर्टी के नंबर बदल जाते हैं। कुछ माह पहले ही मकानों के नंबर बदले हैं। दोबारा सर्वे पूरा होने पर फिर प्रॉपर्टी का नंबर नया मिलेगा। बार-बार पता बदलने से परेशानी बढ़ती है। साल 2017-18 व 2018-19 के बिल एक साथ भरने होंगे।
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नगर परिषद को नुकसान
पिछले साल हुए सर्वे पर 50 लाख से ज्यादा का खर्च आया है। जो नई एजेंसी ने जो सर्वे शुरू किया है। अगर उसका भुगतान भी नगर परिषद करती है तो इससे अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। सालाना नगर परिषद को प्रॉपर्टी टैक्स से दो-तीन करोड़ रुपये मिलते हैं, लेकिन ये पैसे समय पर नहीं आने से शहर के विकास कार्य प्रभावित होंगे।