जो अनुशासन सहन करता है उसका जीवन मंज जाता है: अचल मुनि
संवाद सूत्र, उचाना : एसएस जैन सभा में चातुर्मास के दौरान बीते 43 दिनों से मानव महल की रचना कर
संवाद सूत्र, उचाना : एसएस जैन सभा में चातुर्मास के दौरान बीते 43 दिनों से मानव महल की रचना कर रहे गुरू अचल ने मानव महल को तैयार कर दिया है। जीवन को हम कैसे मानव महल बना सकते है इसको लेकर बताया। मानव महल के बनने के बाद शुक्रवार को मानव महल में प्रवेश होगा। गुरूवार को मानव महल की रचना को संपूर्ण करते हुए गुरू अचल ने फरमाया कि आज महल की साफ-सफाई करेंगे क्योंकि शुक्रवार को मानव महल में प्रवेश भी करना है। बिना साफ-सफाई के महल किसी काम का नहीं। गंदे स्थान पर बैठना, रहना कोई पंसद नहीं करता। आज मानव महल में अनुशासन रूपी सफाई एवं घिसाई करें। जिस तरह बिना घिसाई, सफाई के महल में चमक नहीं आती उसी तरह बिना अनुशासन के जीवन में भी कभी चमक नहीं आती। अनुशासन सहन करना बर्दाश्त करना बड़ा कठिन है पर जो सहन कर लेता है उनका जीवन भी मंज जाता है। एक पत्थर हथौड़ी व छैणी की मार सहन करके ही भगवान की मूर्ति का रूप धारण कर लेता है। अनुशासन सहन करके ही हमारा जीवन चमकता, दमकता है। अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है कि शरीर, इंद्रिया, वाणी एवं मन पर अकरणीय (न करने योग्य) कार्य न होने देना ही अनुशासन है। एक मिट्टी का पु¨लदा भी सहन करके ही घड़े का रूप धारण करता है। अनुशासन भी जीवन का जरूरी अंग है। संघ, समाज, संस्था, घर हर क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए अनुशासन की आवश्यकता है।