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श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान करके अपने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका

गोपाल विद्या मंदिर में गुरु गोबिद सिंह के प्रकाशोत्सव पर बुधवार को कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य बलबीर सिंह वरिष्ठ गणित आचार्य इंद्रजीत वशिष्ठ ने गुरु गोबिद सिंह की प्रतिमा के सम्मुख पुष्प अर्पित किए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 07:10 AM (IST)
श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान करके अपने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका
श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान करके अपने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका

जागरण संवाददाता, जींद : कलगीधर पातशाह दशमेश पिता गुरु गोबिद सिंह के आगमन दिवस को बुधवार को श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया। शहर के ऐतिहासिक गुरुद्वारा तेग बहादुर साहिब में अमृत सवेरे श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान करके अपने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर अपने गुरु के आगमन दिवस के प्रति प्यार का इजाहर किया। गुरुद्वारा में सारा दिन लंगर की सेवा जारी रही। गुरुघर के प्रवक्ता बलविद्र सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में धार्मिक दीवान सजाया गया। जिसमें गुरुद्वारा साहिब के रागी जत्थे भाई जसबीर सिंह ने एक पिता एकस के हम बारिग, तहे प्रकाश हमारा भयो-पटना शहर विखै भव लयो, मैं हूं परम पुरख को दासा, देखन आयोग जगत तमाशा, वाहो-वाहो गुरु गोबिद सिंह आपे गुरु चेला, धन-धन हमारे भाग, घर आया पिरू मेरा आदि गुरुबाणी शब्दों द्वारा संतो को निहाल किया। करनाल से आए हरदयाल सिंह के रागी जत्थे ने गुरबाणी शब्दों से संगतो को निहाल किया। वहीं तरणतारण से आए गुरजीत सिंह के कविश्री जत्थे ने अपनी कविता में गुरु गोबिद सिंह को महान तपस्वी और उत्कृष्ट यौद्धा बताते हुए कहा कि अगर सरबंश दानी गुरु गोबिद सिंह अपने पिता गुरु तेग बहादुर साहिब व अपने चारों पुत्रों का बलिदान देश और धर्म को बचाने के लिए ना देते तो आज हिदुस्तान हिदुओं का देश ना होकर मुगलों का देश होता। भाई जसबीर सिंह रागी जत्थे ने जे गुरू गोबिद सिंह आउंदे ना, सरबंश की बाजी लांदे ना, ऐहे मंदिर मशीतां बन जानदियां, कोई टल वजावन आंदा ना सुना कर वातावरण को भावपूर्ण बना दिया। करनाल से आए हरदयाल सिंह के रागी जत्थे ने गुरू गोबिद सिंह की जीवनी से संगतों को रूबरू करवाया। गुरुद्वारा मैनेजर सरदार रणजीत सिंह ने कहा कि गुरु गोबिद सिंह ने प्रत्येक प्राणी को जीवन जीने की राह दिखाई। उनका त्याग, तप और ज्ञान प्रेरित करता है। उनकी दी हुई शिक्षाएं गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। गुरु गोबिद सिंह का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति के समीप भगवान का निवास होता है, इसलिए हमें धर्म, जाति, लिग, राज्य के आधार पर एक दूसरे से भेदभाव नहीं करना चाहिए। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने गुरूग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की।

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गोपाल स्कूल में मनाई गुरु गोबिद सिंह जयंती

जागरण संवाददाता, जींद : गोपाल विद्या मंदिर में गुरु गोबिद सिंह के प्रकाशोत्सव पर बुधवार को कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य बलबीर सिंह, वरिष्ठ गणित आचार्य इंद्रजीत वशिष्ठ ने गुरु गोबिद सिंह की प्रतिमा के सम्मुख पुष्प अर्पित किए। शिक्षक इंद्रजीत वशिष्ठ ने कहा कि गुरु गोबिद सिंह सच्चे अर्थ में संत के साथ-साथ सिपाही भी थे। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की। वे विश्व के एकमात्र ऐसे संत थे जिन्होंने देश व धर्म की खातिर अपनी तीनों पीढि़यां कुर्बान कर दी थी।

डीपीएस में हुई ऑनलाइन प्रार्थना सभा

जागरण संवाददाता, जींद : डीपीएस में गुरु गोबिद सिंह की जयंती पर ऑनलाइन प्रार्थना सभा का आयोजन किया। प्रार्थना सभा में छात्रा बुलबुल, डोरिस, खुशप्रीत, तशवी, चेतना, तान्या वर्मा, आस्था व छात्र देवांश, नैतिक, देवल, हर्षिल व उज्ज्वल ने विशेष भूमिका निभाई। विद्यार्थियों ने अपने कीर्तन, कविता गायन, भाषण व गुरुवाणी के शब्दों से समां बांध दिया। अध्यापक आजाद अमर ने गुरु गोबिद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना व धर्म के लिए उनके बलिदान की कहानी बच्चों को सुनाई। अध्यापिका डा. मुकेश ने गुरु गोबिद सिंह की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को समझाया कि कभी भी किसी से ईष्र्या नहीं करनी चाहिए।


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