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सीवर लाइन में बह रहा बारिश का पानी, अलेवा, सफीदों और उझाना के डार्क जोन में जाने का खतरा

जिस तरह भूमिगत पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है उसके अनुसार उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। बारिश के पानी को रिचार्ज करने की व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश का पानी व्यर्थ में सीवरों में बह जाता है। इससे जिले में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है। हालांकि अभी जिले के कोई ब्लॉक डार्क जोन में नहीं है। लेकिन अलेवा सफीदों व उझाना ब्लॉक पर डार्क जोन में जाने का खतरा मंडरा रहा है। बाकी स्थानों पर भी लगातार जलस्तर गिर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 08:02 AM (IST)
सीवर लाइन में बह रहा बारिश का पानी, अलेवा, सफीदों और उझाना के डार्क जोन में जाने का खतरा
सीवर लाइन में बह रहा बारिश का पानी, अलेवा, सफीदों और उझाना के डार्क जोन में जाने का खतरा

बिजेंद्र मलिक, जींद

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जिस तरह भूमिगत पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, उसके अनुसार उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है। बारिश के पानी को रिचार्ज करने की व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश का पानी व्यर्थ में सीवरों में बह जाता है। इससे जिले में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है। हालांकि अभी जिले के कोई ब्लॉक डार्क जोन में नहीं है। लेकिन अलेवा, सफीदों व उझाना ब्लॉक पर डार्क जोन में जाने का खतरा मंडरा रहा है। बाकी स्थानों पर भी लगातार जलस्तर गिर रहा है।

जिले का कोई ब्लॉक डार्क जोन में नहीं होने के कारण भवनों पर रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य नहीं है। लघु सचिवालय, अर्जुन स्टेडियम आदि कुछ सार्वजनिक स्थानों को छोड़ दिया जाए, तो वाटर रिचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं है। सेक्टरों के कुछ पार्को में लोगों ने अपने स्तर पर रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगवाए हुए हैं, लेकिन इनका समय पर रख-रखाव नहीं होने के कारण बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पाता है। वहीं पार्कों के आसपास सीवर हैं, जो बारिश के समय ओवरफ्लो हो जाते हैं, जिससे सीवरों का पानी भी पार्कों में घुस कर रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम से होते हुए जमीन में चला जाता है।

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उझाना बना नया ब्लॉक

सरकार ने पिछले साल नरवाना ब्लॉक से उझाना को नया ब्लॉक बनाया गया है। पहले औसतन नरवाना का भूमिगत जल स्तर काफी नीचे था, जिसमें ज्यादातर एरिया उझाना का शामिल था। अब उझाना के अलग से ब्लॉक बनने से नरवाना ब्लॉक का औसतन भूमिगत जल स्तर 6.73 मीटर है। वहीं उझाना ब्लॉक का 23.28, मीटर है।

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जिले में भूमिगत जल स्तर की स्थिति

ब्लॉक पिछले साल जनवरी 2019 की रिपोर्ट अनुसार

जींद 18.29 18.91

जुलाना 5.94 04.10

अलेवा 30.92 30.11

नरवाना 7.40 6.73

पिल्लूखेड़ा 6.09 5.11

उझाना 21.87 23.28

सफीदों 14.16 15.51

नोट आकड़ा मीटर में है।

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साल 2011 से 2017 तक जल स्तर

ब्लॉक 2011 2012 2013 2014 2015 2016 2017

जींद 13.49 14.87 16.00 16.10 16.34 17.68 19.31

अलेवा 20.62 22.86 24.74 25.47 26.07 29.47 30.47

जुलाना 04.93 05.32 05.16 04.74 04.96 05.20 05.45

नरवाना 10.59 11.71 12.47 12.39 13.79 14.18 14.95

उचाना 13.17 14.04 14.37 14.45 14.89 15.61 16.29

सफीदों 9.66 10.86 11.94 12.33 12.61 13.63 13.78

पिल्लूखेड़ा 04.59 05.52 05.80 05.16 05.40 05.64 06.30

नोट : आकड़ा मीटर में है।

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तेजी से गिर रहा जल स्तर

पिछले एक साल की ही बात करें, तो सफीदों में भूमिगत जल स्तर 14.16 मीटर से गिर कर 15.51 मीटर पर पहुंच गया। अलेवा में पिछले साल मानसून सीजन में अच्छी बारिश होने से कुछ सुधार हुआ है और 30.92 मीटर से 30.11 मीटर पर आ गया। उझाना ब्लॉक में जल स्तर 21.87 गिर कर 23.28 मीटर पर पहुंच गया। हालांकि नरवाना ब्लॉक में जिस समय उझाना शामिल था, यहां का औसतन जल स्तर पिछले साल 14.95 मीटर था। उझाना के अलग होने के बाद नरवाना का जल स्तर 6.73 मीटर पर है।

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प्रत्येक चार साल में केंद्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा एसेसमेंट की जाती है। जिले में सबसे नीचे अलेवा में जल स्तर जा चुका है। उझाना में भी जल स्तर गिर रहा है। जल बचाव के लिए विभाग कदम उठा रहा है और लोगों को इस बारे में जागरूक कर रहा है।

रूचिका नेहरा, सहायक भू-वैज्ञानिक, भूजल कोष, जींद।


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