अहंकारी व्यक्ति फूल सकता है, लेकिन फैल नहीं सकता: अचल मुनि
संवाद सूत्र, उचाना : जैन धर्म के महापर्व संवत्सरी पर जैन स्थानक क्षमा दिवस मना मनाया गया। इसमें में
संवाद सूत्र, उचाना : जैन धर्म के महापर्व संवत्सरी पर जैन स्थानक क्षमा दिवस मना मनाया गया। इसमें में दिल्ली, पंजाब, प्रदेश सहित 38 अलग-अलग स्थानों से हजारों लोग पौषध (व्रत) के लिए श्रद्धालुओं से क्षमा दिवस पर सभी से जैन संत अचल मुनि महाराज ने क्षमा याचना की।
जैन संत ने फरमाया कि लात का जबाव लात से गधा ही देता है, भौंकने का जबाव भौंककर कुत्ता ही देता है। पर हम न तो गधे न ही कुत्ते हम इंसान हैं। क्रोध का जबाव क्रोध से क्रोधी ही देता है। आप क्रोधी तो नहीं है ना? और घृणा का जबाव प्रेम से संत ही देता है। आप संत के अनुयायी है ना? तो फिर गुस्सा क्यों करते हो। सामने वाला गुस्सा करें तो आप चुप रहिए। वह थोड़ी देर में फूं-फा करके अपने आप ही शांत हो जाएगा। क्रोधी व्यक्ति का भरोसा एवं विश्वास शीघ्र समाप्त हो जाता है।
अचल मुनि ने कहा कि भरोसा और समोसा दो चीजें है। समोसा तो बाजार में मिल जाएगा पर भरोसा बाजार में नहीं मिलता। भरोसा आदमी के व्यवहार में मिलता है। दो चीजों पर ज्यादा भरोसा नहीं रखना। भरोसा न रखने वाली चीज पैसा। पैसा पर ज्यादा भरोसा नहीं रखना तथा भगवान और मौत पर पूरा भरोसा रखना। भगवान और मौत कभी भी किसी को धोखा नहीं देती। मौत हर हाल में आती है और भगवान हर हाल में साथ रहता है। याद रखना अहंकारी फूल तो सकता है पर फैल नहीं सकता।
उन्होंने बताया कि संवत्सरी महापर्व को क्षमापना दिवस भी कहते है। इस दिन सभी श्रद्धालु जो इस जैन धर्म को मानते है वो दिल की गहराइयों के साथ एक-दूसरे से अपनी हुई अतीत की भूलों के लिए क्षमा मांगते है। इंसान अपनी भूल करे कबूल, दूसरों की भूल जाए तो भूल, जीवन में रखे नहीं शूल तो जीवन बन जाए ब्यूटी फूल। पर आज कोई भी भूल को कबूल नहीं करना चाहता। आज सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है ना गम चाहिए और ना कम चाहिए।