दुनिया के 17वें सबसे प्रदूषित जींद शहर की बदल गई आबोहवा
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन से शहर की आबोहवा साफ हो गई है। वायु और ध्वनि प्रदूषण कम हो जाने का असर पर्यावरण भी साफ दिखाई दे रहा है।
जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन से शहर की आबोहवा साफ हो गई है। वायु और ध्वनि प्रदूषण कम हो जाने का असर पर्यावरण भी साफ दिखाई दे रहा है। कम वाहनों के चलने और धूल न उड़ने के कारण पर्यावरण में सुधार होने का एहसास हो रहा है। वायु प्रदूषण काफी हद तक खत्म हो गया है। ध्वनि प्रदूषण भी बंद हो गया है। सुबह से शाम तक पक्षियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है। मार्केट में जहां लोगों का जमावड़ा रहता था, वहां अब मोर घूमते नजर आते हैं। बुधवार को वातावरण में पीएम 2.5 का औसतन स्तर 50 रहा। जोकि मानव शरीर के लिए लाभदायी माना जाता है। साल 2019 में जींद शहर दुनिया के प्रदूषित शहरों की लिस्ट में 17वें नंबर पर था। जबकि साल 2018 में 20वीं स्थान था। नवंबर-दिसंबर में पीएम 2.5 का स्तर 400 के पार चला गया था। जिससे स्वस्थ्य व्यक्ति का भी दम घुटने लगता है। 24 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद सभी तरह की निर्माण गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गई। सड़कों पर वाहनों के संचालन में करीब 90 फीसदी कमी आ जाने से डीजल-पेट्रोल के जलने से निकलने वाला धुआं भी बंद है। वाहनों की आवाजाही न होने से सड़कों से धूल नहीं उड़ रही है। हवा साफ हो जाने से लोगों को सांस लेने में आसानी हो रही है। बुजुर्गों के अनुसार ऐसा वातावरण चार-पांच दशक पहले होता था, जब ईंजन वाहन बहुत कम थे।
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पांच दिन का प्रदूषण का स्तर
तारीख पीएम 2.5 का औसतन स्तर
19 अप्रैल 62
20 अप्रैल 37
21 अप्रैल 50
22 अप्रैल 50
23 अप्रैल 50