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पीजीआइ में पोस्टमार्टम के बाद शव गांव ले गई पुलिस, 34 घंटे बाद किशोरी का अंतिम संस्कार

अलेवा थाना क्षेत्र के एक गांव से किशोरी का अपहरण कर हत्या करने के मामले में सोमवार को नागरिक अस्पताल में पूरे दिन हंगामा रहा। पीजीआइ में युवती के पोस्टमार्टम के बाद पुलिस शव को अस्पताल में लाने के बजाय सीधे गांव ले गई। करीब 34 घंटे के हंगामे के बाद देर शाम को धरना समाप्त कर गांव में अंतिम संस्कार किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:21 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 07:21 AM (IST)
पीजीआइ में पोस्टमार्टम के बाद शव गांव ले गई पुलिस, 34 घंटे बाद किशोरी का अंतिम संस्कार
पीजीआइ में पोस्टमार्टम के बाद शव गांव ले गई पुलिस, 34 घंटे बाद किशोरी का अंतिम संस्कार

जागरण संवाददाता, जींद : अलेवा थाना क्षेत्र के एक गांव से किशोरी का अपहरण कर हत्या करने के मामले में सोमवार को नागरिक अस्पताल में पूरे दिन हंगामा रहा। पीजीआइ में युवती के पोस्टमार्टम के बाद पुलिस शव को अस्पताल में लाने के बजाय सीधे गांव ले गई। करीब 34 घंटे के हंगामे के बाद देर शाम को धरना समाप्त कर गांव में अंतिम संस्कार किया।

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सोमवार दोपहर बाद किशोरी के पिता व दादा पीजीआइ से पोस्टमार्टम करवाकर नागरिक अस्पताल में पहुंच गए। दादा ने धरने पर बैठे रिश्तेदार और संगठनों के लोगों से अंतिम संस्कार करने की बात कही, लेकिन रिश्तेदार व संगठनों के प्रतिनिधि बिना किसी अधिकारी के आश्वासन के धरना खत्म करने और अंतिम संस्कार न करने पर अड़ गए। उचाना के डीएसपी दलीप सिंह ने धरने पर बैठे लोगों के बीच में पहुंचकर आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। जो भी दोषी होगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी, लेकिन परिवार के लोगों ने पुलिस कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए। धरने पर एक युवक ने डीएसपी के समक्ष कहा कि वह लड़की के गायब होने की शिकायत देने के लिए दो दिन भटकते रहे और उसके बाद मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपित युवक मोनू को हिरासत में ले लिया था तो उसको रात को क्यों छोड़ा गया। मामला दर्ज होने के बाद भी आरोपित युवक ने उनके घर के सामने तीन-चार चक्कर काटे, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की। इसलिए पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जाए। इस पर डीएसपी दलीप सिंह ने कहा कि इसके लिए वह लिखित में उनको दे दें। जांच में पुलिस कर्मियों की गड़बड़ मिलती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस से पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी लेने के बाद शाम करीब साढ़े चार बजे धरने पर बैठे लोग शव का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हो गए और गांव में पहुंचकर किशोरी के शव का अंतिम संस्कार किया।

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पोस्टमार्टम में नहीं हुई दुष्कर्म की पुष्टि

रविवार शाम पुलिस शव का पोस्टमार्टम के लिए पीजीआइ रोहतक ले गई थी, लेकिन पुलिस के कागजात देरी से पहुंचने के कारण पोस्टमार्टम रविवार को नहीं हो पाया। सोमवार को पीजीआई में बोर्ड में शामिल डॉ. पीयूष जैन, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. सुनील कुमार ने शव का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि किशोरी के साथ दुराचार नहीं हुआ था। इसमें आशंका जताई गई कि किशोरी जलघर के टैंक में डूबने से पहले जिदा थी और बाद में ही उसकी मौत हुई है। हालांकि फाइनल रिपोर्ट के लिए डाक्टरों की टीम ने बिसरा तैयार करके मधुबन लैब में जांच के लिए भेजा है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।

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ग्रामीण और धरने पर बैठे लोगों में हुई खींचतान

सोमवार सुबह नागरिक अस्पताल में काफी ग्रामीण पहुंच गए थे। दोपहर के समय जब लड़की के पिता व दादा के अस्पताल में पहुंचे तो ग्रामीणों ने शव का अंतिम संस्कार करने की बात कहीं। दादा व पिता तो मान गए, लेकिन धरने पर बैठे उनके रिश्तेदार व संगठनों के लोग नहीं माने। इस दौरान कुछ देर खींचतान के बाद ग्रामीण धरने को छोड़कर गांव में लौट गए।

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किशोरी की मौत के मामले की जांच हर पहलू से की जा रही है। जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी और किसी भी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा। जो लोग इस मामले में शामिल है उनको किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

दलीप सिंह, डीएसपी, उचाना


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