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भय से पढ़ाने वाले अच्छे शिक्षक नहीं बन सकते : सोलंकी

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सोलंकी ने कहा कि उत्तम शिक्षक वह है जिसका शिष्य खुशी-खुशी शिक्षा ग्रहण करें। जो शिक्षक डर और भय से पढ़ाते हैं वे अच्छे शिक्षक नहीं माने जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:18 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 10:18 AM (IST)
भय से पढ़ाने वाले अच्छे शिक्षक नहीं बन सकते : सोलंकी
भय से पढ़ाने वाले अच्छे शिक्षक नहीं बन सकते : सोलंकी

जागरण संवाददाता, जींद : चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सोलंकी ने कहा कि उत्तम शिक्षक वह है, जिसका शिष्य खुशी-खुशी शिक्षा ग्रहण करें। जो शिक्षक डर और भय से पढ़ाते हैं, वे अच्छे शिक्षक नहीं माने जाते हैं। कुलपति शुक्रवार को डीएवी पब्लिक स्कूल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहे। यह कार्यशाला सीबीएसई नई दिल्ली के तत्वावधान में गणित के उन शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित की गई है, जो सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में गणित पढ़ाते हैं।

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सोलंकी ने कहा की गणित एक ऐसा विषय है, जिससे बच्चे संकोच करते हैं। जरूरत इस बात की है कि गणित को इतनी रोचकता के साथ पढ़ाया जाए कि बच्चे इसके पढ़ने से खुशी हासिल करें। प्रोफेसर सोलंकी ने जहां अध्यापकों को पढ़ने-पढ़ाने के नए तरीके बताएं, वहीं उन्होंने डेल्स कमीशन द्वारा निर्धारित शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट किया कि 21वीं सदी का बच्चा कैसा होना चाहिए। 21वीं सदी के लिए बच्चे तैयार करने के लिए शिक्षक को किस प्रकार से अपनी तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि डीएवी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी जहां बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं वहां अध्यापकों को भी शिक्षा पद्धतियों के अच्छे-अच्छे तरीके सिखाने के लिए सदा प्रयत्नशील रहते हैं। इस कार्यशाला में जींद, रोहतक, हिसार तथा पानीपत आदि जिलों के शिक्षक भाग ले रहे हैं। डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने बताया की सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है, अगर सीखने की कला या जिज्ञासा को बंद कर दिया जाए तो शिक्षा का उद्देश्य ही नष्ट हो जाता है। कोई व्यक्ति यह समझे कि मैंने पीएचडी जैसी ऊंची उपाधि प्राप्त कर ली है और अब मुझे और पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है यह मूर्खतापूर्ण होगा, उसे नित्य प्रति अपनी शिक्षा को अपडेट करना पड़ेगा और उन पद्धतियों की खोज करनी पड़ेगी जो पद्धति उस कक्षा के बच्चों के लिए अनिवार्य हो सकती हैं। कोई भी शिक्षा प्रणाली यह सुनिश्चित नहीं करती कि वह हर प्रकार के बच्चे के लिए सक्षम है।

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