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शिक्षक भी कोरोना योद्धा, विपरीत हालात में नहीं रुकने दी पढ़ाई: शूर

डीएवी संस्थाओं के राष्ट्रीय निदेशक जेपी शूर ने कहा कि शिक्षक भी करोना योद्धा हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चों की पढ़ाई रुकने नहीं दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 08:37 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:37 AM (IST)
शिक्षक भी कोरोना योद्धा, विपरीत हालात में नहीं रुकने दी पढ़ाई: शूर
शिक्षक भी कोरोना योद्धा, विपरीत हालात में नहीं रुकने दी पढ़ाई: शूर

जागरण संवाददाता, जींद: डीएवी संस्थाओं के राष्ट्रीय निदेशक जेपी शूर ने कहा कि शिक्षक भी करोना योद्धा हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चों की पढ़ाई रुकने नहीं दी। एक ऐसी विधा पर विजय प्राप्त की, जिसके वे अभ्यस्त नहीं थे। वह शनिवार को डीएवी स्कूल में डीएवी पब्लिक जींद में डीएवी स्कूलों के राज्यस्तरीय प्राचार्य सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

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जेपी शूर ने कहा कि यह ऐसा समय है, जिसमें सभी प्राचार्य और स्कूल संचालकों को सूझबूझ का परिचय देना है। स्कूलों में आए आर्थिक संकट का मुकाबला भी करना है। स्कूल प्राचार्यों पर बच्चों की जिम्मेदारी भी है और स्कूल में काम करने वाले अध्यापकों की भी जिम्मेदारी है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने डीएवी पब्लिक स्कूल जींद के प्राचार्य और क्षेत्रीय निदेशक डा. धर्मदेव विद्यार्थी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने स्कूल के बच्चों की पढ़ाई को भी नहीं रुकने दिया और सामाजिक क्षेत्र में भी कार्य करके डीएवी की छवि को चमकाकर मानवता का उदाहरण पेश किया। इसका अनुसरण सभी डीएवी स्कूलों को करना चाहिए। उन्होंने डा. धर्मदेव विद्यार्थी को बधाई देते हुए कहा कि यह पहला मौका है, जब किसी स्कूल के प्राचार्य को दो विश्वविद्यालयों की संचालन समितियों का सदस्य बनाया गया है। नई शिक्षा नीति की क्रियान्वयन समिति का चेयरमैन बनाकर नई शिक्षा नीति के प्रचार-प्रसार का उत्तर दायित्व दिया गया है। यह सभी स्कूलों के लिए तथा डीएवी के लिए गौरव का विषय है।

इस मौके पर जींद, फतेहाबाद, भिवानी, सिरसा, हिसार, रोहतक, झज्जर, महेंद्रगढ़, कैथल इत्यादि जिलों में स्थित 40 से भी अधिक डीएवी स्कूल के प्राचार्य तथा स्कूल अधीक्षक ने भाग लिया। इस मौके पर आगामी सत्र के लिए स्कूलों की आर्थिक स्थिति पर गहनता से विचार किया गया।

डीएवी स्कूल ही नहीं, मानव कल्याण केंद्र भी: विद्यार्थी

सम्मेलन के अध्यक्ष डा. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि डीएवी की पहचान मात्र स्कूल के लिए नहीं, अपितु मानव कल्याण केंद्र के रूप में है। जहां न केवल बच्चों का अपितु समाज का सर्वांगीण विकास करने के प्रयत्न किए जाते हैं। उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती को स्मरण करते हुए कहा कि वे विश्व के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके नाम पर सबसे अधिक संस्थाओं का नामकरण हुआ है। डीएवी की अपनी परंपरा है, जिस परंपरा का निर्वाह वर्तमान प्रधान डा. पूनम सूरी कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के सभी डीएवी स्कूलों के प्राचार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस समय में जिस शीघ्रता के साथ डीएवी स्कूल ने अपने पाठ्यक्रम को ऑनलाइन परिवर्तित किया है, वह अनुकरणीय है।


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