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गांव-कस्बों से निकल रहे होनहार विद्यार्थी, अभावों के बीच रच रहे इतिहास

शहर में रहने वाले अफसरों व सरकारी कर्मचारियों के बच्चे ही बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक लेकर आएंगे यह परंपरा अब बदल रही है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई के 10वीं के 12वीं के परिणामों ने नई आशा जगाई है। अब गांवों व कस्बों के विद्यार्थी में बोर्ड की टॉप लिस्ट में जगह बना रहे हैं। इसमें भी अच्छी बात यह है कि सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन भी सुधर रहा है। हालांकि इसका औसत कम है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 12वीं के परिणाम में जिले के टॉप-10 विद्यार्थियों में छह बच्चे गांवों के स्कूलों में पढ़ने वाले हैं। इन बच्चों का आत्मविश्वास भी गजब का है। सबने बड़े लक्ष्य बना रखे हैं। ज्यादातर आइएएस और आइपीएस बनना चाहते हैं। गांव कलौदा कलां हाट नगूरां उचाना खुर्द छातर जैसे गांवों में पढ़ने वाले बच्चे जिले में टॉप-10 में आते हैं तो खुशी मिलती है। ये बच्चे उम्मीद भी जगा रहे हैं और गांवों की तस्वीर व तकदीर भी बदलना चाहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 09:15 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 09:15 AM (IST)
गांव-कस्बों से निकल रहे होनहार विद्यार्थी, अभावों के बीच रच रहे इतिहास
गांव-कस्बों से निकल रहे होनहार विद्यार्थी, अभावों के बीच रच रहे इतिहास

कर्मपाल गिल, जींद :

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शहर में रहने वाले अफसरों व सरकारी कर्मचारियों के बच्चे ही बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक लेकर आएंगे, यह परंपरा अब बदल रही है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई के 10वीं के 12वीं के परिणामों ने नई आशा जगाई है। अब गांवों व कस्बों के विद्यार्थी में बोर्ड की टॉप लिस्ट में जगह बना रहे हैं। इसमें भी अच्छी बात यह है कि सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन भी सुधर रहा है। हालांकि इसका औसत कम है।

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 12वीं के परिणाम में जिले के टॉप-10 विद्यार्थियों में छह बच्चे गांवों के स्कूलों में पढ़ने वाले हैं। इन बच्चों का आत्मविश्वास भी गजब का है। सबने बड़े लक्ष्य बना रखे हैं। ज्यादातर आइएएस और आइपीएस बनना चाहते हैं। गांव कलौदा कलां, हाट, नगूरां, उचाना खुर्द, छातर जैसे गांवों में पढ़ने वाले बच्चे जिले में टॉप-10 में आते हैं तो खुशी मिलती है। ये बच्चे उम्मीद भी जगा रहे हैं और गांवों की तस्वीर व तकदीर भी बदलना चाहते हैं। अपनी मेहनत से दूसरे बच्चों में भी आत्मविश्वास जगाया है कि वे कुछ कर सकते हैं। खास बात यह है कि इन सभी बच्चों के पिता दुकानदार, किसान या छोटा-मोटा काम करते हैं। कलौदा कलां के सरकारी स्कूल के अमरपाल, कारखाना के सरकारी स्कूल की शिखा, गांव नगूरां के सरस्वती पब्लिक स्कूल की छात्रा मनीषा सहित ज्यादातर ने बिना ट्यूशन लगाए जिले में पोजीशन हासिल की। कोचिग संस्थानों के अभावों के बावजूद इनकी मेहनत प्रशंसा की हकदार है।

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--सरकारी स्कूलों के प्रति बदलना होगी सोच

राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल कलौदा कलां का छात्र अमरपाल जिले में आर्ट संकाय में टॉपर रहा है। उसने गांव में बनी आंबेडकर लाइब्रेरी में पढ़ाई की। अमरपाल के पिता किसान हैं, लेकिन उसका सपना आईएएस या लेक्चरर बनना है। अमरजीत अपने परिणाम पर हैरान नहीं है, बल्कि उसे प्रदेश के टॉप-3 में आने की उम्मीद है। उसका कहना है कि सरकारी स्कूल के प्रति लोगों को सोच बदलनी होगी। उसके सभी टीचर बहुत मेहनती थे और नॉलेज वाले थे। इसी तरह कारखाना के सरकारी स्कूल की शिखा ने भी टॉप-10 में जगह बनाई।

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