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आदेश के बावजूद दोपहर बाद दिव्यांगों का मेडिकल करने पहुंचे स्पेशलिस्ट

जागरण संवाददाता, जींद : डीजी हेल्थ के आदेश के आदेश के बावजूद तीन माह से मेडिकल के लिए चक्कर काट रहे दिव्यांग की जांच के लिए बुधवार को रोहतक से फिजिशियन, आर्थो सर्जन और ईएनटी सर्जन दोपहर बाद पहुंचे। दोपहर तक इंतजार के बाद कई दिव्यांग घर लौट गए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:02 AM (IST)
आदेश के बावजूद दोपहर बाद दिव्यांगों का मेडिकल करने पहुंचे स्पेशलिस्ट
आदेश के बावजूद दोपहर बाद दिव्यांगों का मेडिकल करने पहुंचे स्पेशलिस्ट

जागरण संवाददाता, जींद : डीजी हेल्थ के आदेश के आदेश के बावजूद तीन माह से मेडिकल के लिए चक्कर काट रहे दिव्यांग की जांच के लिए बुधवार को रोहतक से फिजिशियन, आर्थो सर्जन और ईएनटी सर्जन दोपहर बाद पहुंचे। दोपहर तक इंतजार के बाद कई दिव्यांग घर लौट गए।

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अस्पताल में सुबह नौ बजे आए दिव्यांग पूरे दिन इंतजार करते रहे और देर शाम तक मेडिकल करवाने के लिए लाइन में लगे रहे। बुधवार को 100 के करीब दिव्यांगों का मेडिकल हो पाया। जिन दिव्यांग का मेडिकल नहीं हो पाया उनको अगले बुधवार को आने के लिए कहा है। कुछ दिव्यांग ऐसे भी थे जिनके गांव की मुख्यालय से काफी दूरी है और पिछले तीन माह से हर बुधवार को चक्कर काटकर थक चुके थे। इस बार वह मेडिकल के लिए नहीं पहुंचे।

अस्पताल प्रशासन ने बुधवार का दिन मेडिकल करवाने के लिए निर्धारित किया हुआ है। नागरिक अस्पताल में ईएनटी सर्जन का पद लंबे समय से खाली पड़ा है। जिले के एकमात्र फिजिशियन नरेश वर्मा जुलाना में हैं, लेकिन करीब एक माह पहले निदेशालय ने उनकी मेडिकल करने की पॉवर को छीन लिया। दिव्यांगों की परेशानी को देखते हुए डीजी हेल्थ ने नवंबर में रोहतक के सिविल अस्पताल में कार्यरत फिजिशियन डा. कुणाल ठाकुर, ईएनटी सर्जन डा. सुरेंद्र कुमार की ड्यूटी लगाई थी, लेकिन दोनों ही डाक्टर मेडिकल करने के लिए नहीं पहुंचे। आदेशों के करीब एक माह तक भी दोनों सर्जन अस्पताल में मेडिकल के लिए नहीं पहुंचने पर सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने डीजी हेल्थ को कई बार रिमांडर भेजा। इसके बाद डीजी हेल्थ ने रोहतक के सिविल सर्जन को ईएनटी सर्जन डा. सुरेंद्र, आर्थो सर्जन डा. सौरभ, फिजिशियन डा. पवन की हर बुधवार को जींद के नागरिक अस्पताल में ड्यूटी सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे।

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मेरे दस वर्षीय बेटे अंकुश बचपन से ही मानसिक रूप से कमजोर है और उसका कई जगह पर इलाज करवाया, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। बेटे के पेंशन के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत है। पिछले चार सप्ताह से अपने बेटे को बड़ी मुश्किल से बस में बैठाकर लाता है, लेकिन यहां पर आने पर पता चलता है कि डाक्टर नहीं आया।आज भी तीन बज चुके हैं, लेकिन अभी तक फिजिशियन नहीं आया। बेटे का मेडिकल करवाने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

-महीपाल, गांव दनौदा खुर्द

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चार सप्ताह से काट रहा हू चक्कर

अपनी आठ वर्षीय बेटी ¨डपल का मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने के लिए चार सप्ताह से किराया लगाकर अस्पताल में पहुंच रहा हूं। मेडिकल के लिए हर बार सुबह नौ बजे अस्पताल में पहुंच जाता हूं और उस समय कहा जाता है कि रोहतक से चिकित्सक मेडिकल करने के लिए आएंगे। लेकिन शाम होते ही कह दिया जाता है कि अगले सप्ताह डाक्टर मेडिकल के लिए आएंगे। तीन बज चुके हैं, लेकिन अभी तक भी मेडिकल करने के लिए सभी डाक्टर नहीं पहुंचे हैं।

जीवन शर्मा, नरवाना

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नहीं हो रहा स्थाई समाधान

हृदय की बीमारी से पीड़ित होने के कारण उसके मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत है। पिछले चार बुधवार से अस्पताल में आ रहे हैं, लेकिन मेडिकल के लिए चिकित्सक ही नहीं पहुंचते। पिछले बुधवार को इस मामले को लेकर डीसी से मिले थे। उन्होंने इस बुधवार को चिकित्सकों की व्यवस्था करवाने का आश्वासन दिया था। तीन बज चुके हैं, लेकिन अभी तक फिजिशियन नहीं पहुंचने के कारण अब तक उनका मेडिकल नहीं हो पाया।

-सुभाष, पिल्लूखेड़ा

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मेडिकल के लिए तीनों स्पेशलिस्ट पहुंचे हैं। चिकित्सकों के बोर्ड को हर व्यक्ति के मेडिकल करने के आदेश दिए हैं।

-डा. संजय दहिया, सिविल सर्जन जींद


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