हडवारे की स्थायी व्यवस्था होने तक सीवन भेजे जाएंगे मरे पशु
जागरण संवाददाता, जींद : पुराने हांसी रोड पर 42 साल से चल रहे हडवारे में अब मरे हुए पश
जागरण संवाददाता, जींद : पुराने हांसी रोड पर 42 साल से चल रहे हडवारे में अब मरे हुए पशु नहीं डाले जाएंगे। हडवारा शिफ्ट होने की स्थायी व्यवस्था होने तक मृत पशुओं को कैथल जिले के सीवन में बने हडवारे में लेकर जाया जाएगा। प्रशासन के इस आश्वासन पर हडवारा संघर्ष समिति ने मंगलवार सायं साढ़े 5 बजे धरना समाप्त कर दिया।
हडवारा संघर्ष समिति के बैनर तले आठ दिन से हडवारे के सामने धरना चल रहा था। समिति के लोगों ने ऐलान किया था कि 26 मई को मुख्यमंत्री के रोड शो के दौरान मृत पशुओं को डालेंगे। इससे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया। मंगलवार को प्रशासन ने संघर्ष समिति के सदस्यों को बातचीत के लिए बुलाया। लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ रही थी। इसके बाद प्रशासन ने हरियाणा बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट कर्मबीर सैनी की मदद से बातचीत को आगे बढ़ाया। एसडीएम वीरेंद्र सहरावत के साथ करीब तीन दौर की बातचीत के बाद फैसला हुआ कि अब मरे हुए पशुओं को हांसी रोड पर बने हडवारे में नहीं डाला जाएगा। एसडीएम ने बताया कि हडवारे की स्थायी व्यवस्था होने तक मरे पशुओं के कैथल के सीवन में ले जाया जाएगा। उसके लिए प्रशासन की बातचीत हो चुकी है। वहां 25 एकड़ में बड़ा हडवारा बना हुआ है।
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--संघर्ष समिति सहमत
एसडीएम वीरेंद्र सहरावत के साथ हुई मी¨टग में मौजूद संघर्ष समिति के प्रधान राजा सैनी, कार्यकारी प्रधान नरेंद्र दलाल, कर्मपाल ईक्कस, जलालपुरा खुर्द के पूर्व सरपंच सुलतान, राजपाल सैनी, सरस्वती स्कूल के ¨प्रसिपल सुनील, सुशील मास्टर ने कहा कि प्रशासन ने मरे हुए पशु हडवारे में न डालने का भरोसा दिया है। साथ ही, हडवारे को यहां से शिफ्ट करने की प्रक्रिया तेज करने की बात कही है। प्रशासन के आश्वासन पर वे मंगलवार शाम से ही धरना समाप्त कर रहे हैं।
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--जीना हो रहा मुश्किल
हडवारा हटाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले जींद दौरे में घोषणा की थी कि हांसी रोड से हडवारा हटवाया जाएगा। लेकिन अब प्रशासन और सरकार मौन धारण किए हुए था। इसी वादाखिलाफी के कारण उन्होंने धरना शुरू किया था। हडवारे में मरे हुए पशुओं की दुर्गंध से आसपास के लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। अब यह जमीन नगरपरिषद के अधीन आ चुकी है और आसपास बस्ती के अलावा व्यावसायिक संस्थान भी खुल चुके हैं। इसलिए कोर्ट के आदेशों के तहत कमेटी की जमीन के अंदर हडवारा नहीं हो सकता। यहां आसपास के लोगों बदबू के कारण नरक की ¨जदगी जी रहे हैं। इसीलिए यहां धरना शुरू किया था।