डूमरखां खुर्द में 150 साल पुराने तालाब का अस्तित्व बचाने की गुहार लगा रहे ग्रामीण
डूमरखां खुर्द गांव के बीच बने 150 साल पुराने तालाब का उपयोग पशुओं को पानी पिलाने के लिए नहीं बल्कि गांव से निकलने वाले गंदे पानी को डिस्पोजल करने के रूप में किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, जींद : डूमरखां खुर्द गांव के बीच बने 150 साल पुराने तालाब का उपयोग पशुओं को पानी पिलाने के लिए नहीं, बल्कि गांव से निकलने वाले गंदे पानी को डिस्पोजल करने के रूप में किया जा रहा है। घरों से निकलने वाले गंदे पानी के तालाब में जाने से इसमें बदबू आने लगी है और हवा चलने पर यह दूर-दूर तक फैल रही है। इससे ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। इतना ही नहीं गांव में मच्छरों की भरमार है, जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। इन सभी कारणों से इस तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। तालाब को सहेजने के लिए यहां कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा।
खास बात यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह और विधायक प्रेमलता इसी गांव से सियासत के शीर्ष पर पहुंचे हैं। हालांकि उनका गांव डूमरखां कलां हैं, लेकिन खुद बीरेंद्र व ग्रामीण कलां व खुर्द में कोई अंतर नहीं मानते। दोनों गांवों के बीच सिर्फ गली का ही फासला है। 150 साल पुराने इस तालाब का जीर्णोद्धार तो दूर की बात है, उसके रख-रखाव के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। एक समय था, जब इस तालाब का पानी घरेलू उपयोग तक में लाया जाता था, लेकिन आज इस तालाब के पास से गुजरते समय पर मुंह पर रुमाल रखना पड़ता है। डूमरखां गांव के इस बदहाल तालाब की स्थिति को लेकर आसपास के लोगों से बात की गई तो उनका दर्द जुबां पर आ गया।
गांव के पुष्पेंद्र सिंह, सुरेश, राजबीर, मिला राम, मान सिंह, संतोष देवी, कविता, मंजू, राजबाला, बबली देवी आदि ने बताया कि वह उनके बड़े-बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि 80-90 साल पहले तक इस तालाब का पानी स्वच्छ होता था। तालाब में केवल नहरी पानी और बरसाती पानी ही होता था। इस पर बने कुएं का पानी पीने के लिए और तालाब का पानी घरेलू प्रयोग के लिए ग्रामीण लेकर जाते थे। इसके बाद जैसे-जैसे गांव की आबादी बढ़ी और वैसे-वैसे इस तालाब की पवित्रता घटती गई। इस समय आबादी इस तालाब को तीन तरफ से घेर रही है। तालाब का पानी इतना गंदा हो चुका है कि तेज हवा चलते ही आसपास के लोगों का जीना हराम हो जाता है।
तालाब में जाता है गंदा पानी
गांव के जसविद्र श्योकंद ने बताया कि गांव की धरोहर सबसे पुराने इस तालाब में बेशक पहले साफ और स्वच्छ पानी होता था लेकिन तब यह आबादी से दूर होता था। अब आबादी इसके तीन तरफ होने से घरों से निकलने वाला सारा गंदा पानी तालाब में जाता है। इससे तालाब का पानी गंदा हो गया है। इसे निकालकर स्वच्छ पानी भरा जाए।
-इस धरोहर को सहेजा जाए
डा. कृष्ण श्योकंद ने कहा कि कुछ साल पहले तक पशुपालक अपने पशुओं को नहलाने के लिए तालाब में पशु ले आते थे लेकिन अब तालाब की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि पशुपालक अपने पशुओं को इस गंदे पानी में लाने से कतराते हैं। गांव की इस धरोहर को सहेजा जाए। तालाब में गंदे पानी की निकासी का बंद किया जाए।
गली में आ जाता है गंदा पानी
पूर्व सरपंच राजेश कुमार ने कहा कि तालाब के साइड से गांव की मेन गली जाती है। थोड़ी सी भी बरसात होते ही तालाब का पानी ओवरफ्लो होकर गली में आ जाता है। गली में पानी खड़ा होने के चलते गली में आना-जाना पूरी तरह बंद हो जाता है। लगभग आधे गांव को इस मेन गली को बदल कर दूसरे रास्ते से आना पड़ता है।
--तालाब की नहीं ली जा रही सुध
ग्रामीण सुरेंद्र ने बताया कि बारिश का महीना शुरू होने के बाद लगभग 6 महीने तक तालाब के साइड वाली गली पानी खड़ा होने की वजह से बंद हो जाती है। इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन को अवगत करवाया है, लेकिन न तो तालाब की सुध ली जा रही है और न ही इससे परेशान लोगों की। कई साल से इस समस्या से परेशान हैं।
तालाब में गंदा पानी जाने से रोकेंगे
जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राजेश कोथ ने कहा कि डूमरखां खुर्द में इस तरह की स्थिति संबंधी मामला उनके संज्ञान में नहीं था। अब मामला संज्ञान में आ गया है। बहुत जल्द इस पर कार्रवाई की जाएगी। मौके पर जाकर हालात का वह खुद जायजा लेंगे। गंदा पानी तालाब में नहीं जाने देंगे। इस तरह की समस्या को वह प्राथमिकता के तौर पर सुलझाने का प्रयास करेंगे। बारिश शुरू होने से पहले समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।