डॉ. पांचाल के जज्बे को सलाम, 20-20 घंटे की की ड्यूटी, चेहरे पर थकान नहीं
कोरोना के कारण जब देश भर में लॉकडाउन है और सभी लोग अपने घरों में रह रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने स्वास्थ्य और जान की परवाह किए बिना दूसरों को स्वस्थ रखने के लिए मैदान में डटे हुए हैं। भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टर अपने परिवार को भूलकर दिन-रात ड्यूटी करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना के कारण जब देश भर में लॉकडाउन है और सभी लोग अपने घरों में रह रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने स्वास्थ्य और जान की परवाह किए बिना दूसरों को स्वस्थ रखने के लिए मैदान में डटे हुए हैं। भगवान का दर्जा प्राप्त डॉक्टर अपने परिवार को भूलकर दिन-रात ड्यूटी करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं।
जींद नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. रमेश पांचाल कोरोना के योद्धा बनकर जिले को महफूज रखने की खातिर 20 घंटे से भी ज्यादा की ड्यूटी कर रहे हैं। सामान्य दिनों में डॉ. रमेश पांचाल सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ड्यूटी करते थे, लेकिन फिलहाल देश पर संकट की स्थिति है तो उन्हें न दिन का पता है और न ही रात का। कभी रात को 12 बजे तो कभी 2 बजे ड्यूटी से फ्री होते हैं। इसके बावजूद उनके चेहरे पर थकान देखने को नहीं मिलती। जींद में अभी तक 12 लोगों के कोरोना टेस्ट लिए गए हैं, जिनमें 8 सैंपल डॉ. रमेश पांचाल ने लिए हैं। टेस्ट सैंपलिग के दौरान संक्रमण का खतरा रहता है, लेकिन डॉ. रमेश पांचाल अपनी ड्यूटी में किसी तरह की कोताही बरतते नजर नहीं आ रहे। डॉ. रमेश पांचाल का कहना है कि यह राहत है कि जिले में अभी तक कोरोना का कोई केस नहीं आया है। उन्होंने लोगों को घरों में ही रहने का आह्वान किया।
खुद के घर में रह रहे अलग
डॉ. रमेश पांचाल बताते हैं कि जब से लॉकडाउन हुआ है और उनकी ड्यूटी कोरोना से संबंधित मरीजों की जांच और सैंपलिग में लगी है, तभी से डॉ. रमेश पांचाल खुद के घर में भी अलग रह रहे हैं। ड्यूटी के बाद जब घर लौटते हैं तो अपने मकान के ग्राउंड फ्लोर पर ही कपड़े बदलते हैं, नहाने के बाद ऊपर जाते हैं। वह खुद ही अपने कपड़ों को मशीन में डालते हैं। उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को उसके कपड़े छूने से मना किया हुआ है, ताकि किसी भी तरह से संक्रमण उनके परिवार तक न पहुंच पाए।
जरा सी चूक तो संक्रमण तय
डॉ. रमेश पांचाल ने बताया कि हालांकि कोरोना संबंधी सैंपलिग के दौरान पूरी तरह से किट पहनी होती है लेकिन जरा सी चूक होने पर भी संक्रमण तय है। सैंपलिग के दौरान हर चीज का पता होना जरूरी है। किट उतारते समय भी बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उतारते समय किट शरीर से कहीं भी छू गई तो संक्रमण हो सकता है। सैंपलिग के दौरान मोबाइल को भी खुद से दूर रखना पड़ता है। आइसोलेशन वार्ड में गर्मी सहते हुए संदिग्ध मरीजों से मिलने, बात करने, उनकी जांच व इलाज करते हुए मनोबल बढ़ाते हैं।