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डिवाइन योग सेंटर के साधकों ने चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता

खेल विभाग की ओर से जिला स्तरीय योग प्रतियोगिता में डिवाइन योग सेंटर के प्रतिभागियों ने चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 08:04 AM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 08:04 AM (IST)
डिवाइन योग सेंटर के साधकों ने चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता
डिवाइन योग सेंटर के साधकों ने चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता

जागरण संवाददाता, जींद : खेल विभाग की ओर से जिला स्तरीय योग प्रतियोगिता में डिवाइन योग सेंटर के प्रतिभागियों ने चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। 19 व 20 अगस्त को दीवान रंगशाला में योग अधिकारी मनोज कुमार के नेतृत्व में हुई योग प्रतियोगिता में 8 से 12 आयु वर्ग में लड़कियों में डिवाइन योग सेंटर की साधक मनस्वी आर्या और लड़कों में हर्षित आर्य ने पहला स्थान हासिल किया।

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पंकज ने 15 से 19 आयु वर्ग और अभिषेक ने 19 से 25 आयु वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। परिधि दहिया ने 8 से 12 आयु वर्ग में कांस्य पदक जीता। पदक विजेताओं को सम्मानित करते हुए योगाचार्य जोरा सिंह आर्य ने कहा कि योग से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है, इसमें करियर भी बना सकते हैं। निरोग रहने के लिए हर व्यक्ति को योग जरूर करना चाहिए। अब तो विदेशों में योग टीचर की नौकरियां मिल रही हैं। प्रदेश सरकार भी अगले सत्र से योग विषय को पाठ्यक्रम में शामिल कर रही है। इसलिए इस क्षेत्र में भविष्य में अच्छा करियर बना सकते हैं।

नाटक से समाज को दे सकते हैं नई दिशा: रेढू

जागरण संवाददाता, जींद: जेबीएम कालेज जुलाना में दीपिका रूरल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाटक का मंचन किया गया। मुख्य अतिथि समाजसेवी सुनील रेढू ने दीप प्रज्वलीत करके नाटक का शुभारम्भ किया। सेवानिवृत कमांडेंट बीएसएफ रमाकान्त शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। जुलाना के खंड शिक्षा अधिकारी शिवनारायण शर्मा, जेबीएम कालेज के अध्यक्ष सुरेश लाठर व राष्ट्रपति अवार्डी सुभाष ढिगाना, साहित्यकार ओमप्रकाश चौहान, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। सोसाइटी की सचिव पूनम कुमारी ने बताया कि नाटक मंचन में कलाकारों ने दर्शाया कि विगत कई वर्षों से देश एवं समाज में बेटियों को लेकर बड़ा ही सकारात्मक बदलाव आया है। मुख्य अतिथि सुनील रेढू ने कहा कि नाटक के माध्यम से समाज को नई दिशा दी जा सकती है। ऐसे नाटकों से हमें सीख मिलती है कि बच्चों को आजादी तो देनी है, उन पर भरोसा भी करना है। जिससे वे आपसे कोई भी बात न छुपाएं। साथ ही, उन पर पूर्ण नियंत्रण भी रखना है। बच्चों से गलती हो सकती है। युवा मन का भटकना स्वाभाविक है, उन्हें सिखाना है कि जिदगी में कोई शार्टकट नहीं होना चाहिए।


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