चार हजार किलोमीटर तक दौड़ने लगी रोडवेज बसें, आमदनी पहुंची 60 हजार पर
अनलॉक-1.0 के साथ ही रोडवेज में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी है। जींद डिपो की बसें भी अब रोजाना 4 हजार किलोमीटर का सफर तय करने लगी हैं। आमदनी भी रोजाना की 60 हजार होने लगी है।
जागरण संवाददाता, जींद : अनलॉक-1.0 के साथ ही रोडवेज में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी है। जींद डिपो की बसें भी अब रोजाना 4 हजार किलोमीटर का सफर तय करने लगी हैं। आमदनी भी रोजाना की 60 हजार होने लगी है। शनिवार को जींद डिपो ने 29 बसें रूटों पर उतारी, जिसमें 500 से ज्यादा यात्रियों ने सफर किया।
बताते चलें कि 15 दिन पहले जब परिवहन विभाग ने रोडवेज बसों को चलाने का निर्णय लिया था, तब पहले दो दिन जींद डिपो से कोई बस नहीं चल पाई थी। उसके बाद पंचकूला, रोहतक और कुरुक्षेत्र के लिए बसें निकली लेकिन इनमें यात्रियों की संख्या न के बराबर रही। इस कारण डिपो को आमदनी की बजाय घाटा ही हुआ। इसके बावजूद जींद डिपो प्रबंधन ने बसें चलाना जारी रखा, ताकि यात्रियों को विश्वास हो सके। इसके बाद धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी तो बसों की संख्या भी बढ़ाने लगी। मुख्यालय से परमिशन लेकर लोकल और अंतरजिला रूटों पर बसें शुरू कर दी। अब जींद डिपो से हर रोज 25 से 29 बसें निकल रही हैं, जिनमें सैकड़ों यात्री यात्रा कर रहे हैं। जींद डिपो के महाप्रबंधक बिजेंद्र हुड्डा ने कहा कि यात्रियों की संख्या बढ़ने पर बसों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यालय से अनुमति ली जाएगी, जिसके बाद बसों की संख्या बढ़ा दी जाएगी। एक बस में अधिकतम 35 यात्री बैठ सकते हैं। इसके अलावा जुलाना, सफीदों में भी थर्मल स्कैनिग मशीन की व्यवस्था की जा चुकी है।
रोजाना 60 हजार की हो रही आमदनी
जींद डिपो की 28 से 29 बसें हर रोज गुरुग्राम, चंडीगढ़, पंचकूला, कैथल, रोहतक, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र, सफीदों, नरवाना समेत दूसरे शहरों में जा रही हैं। यह बसें हर रोज 4 हजार किलोमीटर का सफर तय कर रही हैं, जिससे डिपो को आमदनी के रूप में 60 हजार रुपये की रिसीट आ रही है। हालांकि पहले की बजाय यह राशि कुछ भी नहीं है लेकिन व्यवस्था को पटरी पर आने में थोड़ा समय लगेगा। लॉकडाउन से पहले जींद डिपो की 165 बसें रोजाना 40 हजार किलोमीटर का सफर तय करती थी। कोरोना के कारण इन बसों के पहिये थम गए थे। लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे-धीरे बसों की रफ्तार बढ़ी।