सड़कों पर चार महीने झेलना होगा सांडों का आतंक, सरकार ने 26 जनवरी रखी डेडलाइन
जागरण संवाददाता, जींद शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रह
जागरण संवाददाता, जींद
शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। हर रोज रात के अंधेरे और दिन के उजाले में इन सांडों की टक्कर से लोग घायल हो रहे हैं। लेकिन नगर परिषद, प्रशासन और नंदीशाला संचालन कमेटी आंखें मूंदकर बैठे हैं। सरकार पिछले एक साल में सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने के लिए कई बार डेडलाइन निर्धारित कर चुकी है। अब नई डेडलाइन 26 जनवरी निर्धारित की है। यानी चार महीने और सांडों का आतंक झेलना होगा।
करीब एक साल पहले शहर और आसपास के गांवों की मुख्य सड़कों पर सांडों की संख्या बढ़ने से कई लोगों की जान चली गई थी और कई घायल हो गए थे। इसके बाद प्रशासन ने नरवाना, सफीदों, जींद में नंदीशाला बनवाई थी। कई गांवों में नंदीशाला व गोशालाओं का निर्माण करवाया था। इससे कुछ हद तक सांड कम हो गए थे। लेकिन अब पिछले तीन-चार महीने से दोबारा सड़कों पर सांडों की संख्या बढ़ गई है। सामाजिक संस्थाओं और शहर के लोग कई बार इस बारे में नगरपरिषद और प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई अधिकारी जनता को राहत दिलाने में पहल नहीं कर रहा है। रात को शहर की मुख्य सड़कों और गलियों में स्ट्रीट लाइटें न होने से अंधेरे में लोग इन सांडों से भिड़कर घायल हो रहे हैं। कई बार सांड भी लड़ते हुए लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। --नगरपरिषद का दीवार टूटने का बहाना
एसडीएम वीरेंद्र सहरावत ने दो दिन पहले नगरपरिषद के अधिकारियों की मी¨टग बुलाई थी और आवारा पशुओं न पकड़ने का कारण पूछा था। इस पर नगरपरिषद के अधिकारियों ने तर्क दिया कि नहर की तरफ नंदीशाला की दीवार टूटी हुई है। इससे सांड बाहर निकल जाते हैं। एसडीएम ने जल्द दीवार ठीक करवाकर सांडों को पकड़ने का अभियान चलाने का निर्देश दिया। --सीएम के प्रधान सचिव बोले: नंदीशाला में भेजो आवारा पशु
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. राकेश गुप्ता ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि 26 जनवरी तक सड़कों को आवारा पशुओं से मुक्त किया जाए। सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने से वाहन दुर्घटनाएं होने का अंदेशा बना रहता है। ऐसी दुर्घटनाओं में लोगों की जान भी चली जाती है। सड़कों को आवारा पशु मुक्त करने के सीएम के निर्देश पर शुरू में अच्छा काम हुआ था। अब फिर इस तरफ ध्यान दिया जाए और आवारा पशुओं को गऊशाला या नंदीशाला में भेजा जाए। जो लोग अपने पालतू पशुओं को छोड़ देते हैं, उन पर भी नजर रखी जानी चाहिए। पाक्षिक आधार पर सड़कों को मुक्त बनाने के काम की समीक्षा करते रहे। --चारा भी भरपूर, पैसे की कमी नहीं, नीयत में खोट: गोयत
कांग्रेस नेता सुरेश गोयत झांझ ने कहा कि नंदीशाला समिति को शहर और गांवों के लोगों भरपूर चंदा व चारा दान किया है। अब तो चारे की भी कमी नहीं है। गोसेवा आयोग, सांसद कोटा और शहर के विकास में लगने वाला डी-प्लान का लाखों रुपया भी यहां खर्च किया जा चुका है। फिर भी शहर के लोग परेशान हैं। इससे यही साबित होता है कि नंदीशाला संचालन समिति और प्रशासन की नीयत में ही खोट है।