राजा वाली गोहर पर सड़क निर्माण का रास्ता साफ, वन विभाग को पौने सात एकड़ जमीन देगा बीएंडआर
-सीएम की घोषणा के बावजूद पांच साल से अटकी थी परियोजना 12 गांवों को होगा फायदा -वन विभाग
-सीएम की घोषणा के बावजूद पांच साल से अटकी थी परियोजना, 12 गांवों को होगा फायदा
-वन विभाग ने राजा वाली गोहर के बदले मांगी थी जमीन, विधायक अमरजीत ढांडा के प्रयास लाए रंग
फोटो-20, 21, 33
बिजेंद्र मलिक, जींद : राजा वाली गोहर की जमीन के बदले बीएंडआर वन विभाग को सीआरएसयू के पास खाली पड़ी अपनी पौने सात एकड़ जमीन देगा। इसके लिए कैबिनेट से भी मंजूरी मिल चुकी है। जिससे राजा वाली गोहर के सड़क निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। करीब पांच साल से ये परियोजना अटकी हुई थी। बीएंडआर ने जमीन ट्रांसफर करने के लिए वन विभाग को फाइल भेज दी है। वन विभाग के अधिकारी बीएंडआर की जमीन भी देख चुके हैं। वन विभाग जमीन ट्रांसफर करने के लिए केस भारत सरकार को भेजेगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद बीएंडआर से वन विभाग के नाम जमीन ट्रांसफर की जाएगी। यह सड़क जिले के किशनपुरा, बिरौली, शामलो खुर्द, खिमाखेड़ी, शामलो कलां, रामकली, फतेहगढ़, लिजवाना खुर्द, लिजवाना कलां व हथवाला गांव से होकर किलाजफरगढ़ गांव में बैंसी गांव को जाने वाली सड़क से मिलेगी। इससे इन गांवों के साथ-साथ आसपास के गांवों को भी फायदा होगा। जींद से जुलाना व रोहतक जाने के लिए ये सड़क बाईपास का भी काम करेगी।
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सीएम ने की थी इसकी घोषणा
गौरतलब है कि साल 2016 में सीएम मनोहर लाल ने जुलाना विकास रैली में राजा वाली गोहर को पक्का कराने की घोषणा की थी। बीएंडआर ने टेंडर भी लगा दिए थे। लेकिन वन विभाग ने एनओसी नहीं मिली। वन विभाग ने राजा वाली गोहर की जमीन के बदले जमीन देने की शर्त रखी। लेकिन बीएंडआर के पास बदले में देने के लिए जमीन नहीं थी। जिससे ये परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार बनने के बाद जुलाना से जेजेपी विधायक अमरजीत ढांडा ने इस परियोजना को सिरे चढ़ाने के लिए प्रयास शुरू किए।
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फोटो: 33, कृपया यह फोटो इस बॉक्स में जरूर लगाएं
--विधायक अमरजीत ढांडा के प्रयास लाए रंग
जुलाना के जेजेपी विधायक अमरजीत ढांडा ने राजा वाली गोहर पर सड़क के निर्माण में फंसे पेंच को दूर करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जमीन को लेकर आ रही समस्या के समाधान के लिए डीसी और बीएंडआर अधिकारियों से कई मीटिग की। मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने भी यह मुद्दा उठाया। आसपास के गांवों की ग्राम पंचायतों को जमीन देने के लिए कहा गया। शामलो कलां, रामकली व अन्य गांवों की ग्राम पंचायतें जमीन पट्टे पर देने को तैयार थी। लेकिन वन विभाग जमीन को अपने नाम ट्रांसफर कराने की शर्त रखी। अब ढांडा के प्रयासों से बीएंडआर सीआरएसयू के पास खाली पड़ी पौने सात एकड़ जमीन वन विभाग को देने के लिए तैयार हो गया है।
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रामचंद्र आर्य 15 साल से उठा रहे थे बीड़ा
शामलो कलां गांव के रामचंद्र आर्य ने राजा वाली गोहर को पक्का कराने का मामला सबसे पहले उठाया था। करीब डेढ़ दशक से वे इस मांग को लेकर जींद व चंडीगढ़ के चक्कर लगाते रहे। उन्होंने इसके लिए आसपास के गांवों के लोगों को भी साथ लिया और सरकार तक मांग पहुंचाई। जिसके बाद साल 2016 में सीएम मनोहर लाल ने इसे पक्का करने की घोषणा की।
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इसलिए महत्वपूर्ण है ये परियोजना
राजा वाली गोहर जींद जिले में चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय से किलाजफरगढ़ गांव तक 21 किलोमीटर लंबी है। ये गोहर आगे चरखी दादरी तक है। 1857 के आंदोलन में अंग्रेजों ने दादरी तक के एरिया को जींद रियासत में शामिल किया था। राजा रणबीर सिंह कच्चे रास्ते से दादरी तक जाते थे। जिसे राजा वाली गोहर कहा जाता है। जींद से किलाजफरगढ़ तक 18 फीट चौड़ी सड़क करीब 19 करोड़ रुपये से बनेगी। इसके बनने से जींद से महम, कलानौर, चरखी दादरी सहित दक्षिण हरियाणा के दूसरे जिलों में आना-जाना और आसान हो जाएगा।
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जमीन ट्रांसफर के लिए वन विभाग को लिखा
चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के पास बीएंडआर की जमीन है। इस जमीन पर बाईपास बनना था। लेकिन एनएचएआइ ने दूसरी जगह को बाईपास निकाल दिया। इसलिए अब ये जमीन सरप्लस है। जो वन विभाग को दी जाएगी। जिसको ट्रांसफर करने की प्रक्रिया चल रही है। वन विभाग को इसके लिए लिख दिया गया है। अब वन विभाग को मुख्यालय केस भेज कर जमीन ट्रांसफर करानी है।
-नवनीत नैन, एक्सईएन, बीएंडआर
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केंद्र सरकार को भेजा जाएगा केस
राजा वाली गौहर पर 10 हजार से ज्यादा पेड़ हैं। जिन्हें सड़क के निर्माण के लिए काटना पड़ेगा। इसके बदले बीएंडआर से पौने सात एकड़ जमीन मांगी गई थी। बीएंडआर की चौ. रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के पास खाली जमीन है। वे उस खाली जमीन का दौरा कर चुके हैं, जो उपयुक्त पाई गई है। इस जमीन ट्रांसफर के लिए केंद्र सरकार को केस भेजा जाएगा। वहां से अनुमति के बाद जमीन वन विभाग के नाम कराई जाएगी।
-रोहताश बिरथल, जिला वन अधिकारी, जींद