अफगानिस्तान से आए शोधार्थियों ने कहा-अंग्रेजी संवाद का काम करती है, लेकिन ¨हदी भाषा सीखना आसान
जागरण संवाददाता, जींद : चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ''अंग्रेजी में भारतीय लेखन में नए रूझान और दृष्टिकोण -एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य'' का आयोजन किया गया
जागरण संवाददाता, जींद : चौधरी रणबीर ¨सह विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ''अंग्रेजी में भारतीय लेखन में नए रूझान और दृष्टिकोण -एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य'' का आयोजन किया गया। सेमिनार में लगभग 400 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें नाइजीरिया, जर्मनी, ब्लूचिस्तान, भूटान के अलावा देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के शोधार्थी शामिल हुए।
अफगानिस्तान से आए शोधार्थियों ने बताया कि अफगानिस्तान में अंग्रेजी भाषा ज्यादा प्रचलन में नहीं है। कहीं इंटरव्यू देने जाते हैं तो वहां परिचय देते समय तो एकाध शब्द इंग्लिश का प्रयोग कर लेते हैं। उनमें से एक शोधार्थी ने बताया कि अंग्रेजी की तुलना में ¨हदी भाषा जल्दी सीखी जा सकती है। उसने 12 साल इंग्लिश सीखने में लगाए, लेकिन भारत में आकर ¨हदी एक साल में सीख ली। अंग्रेजी संवाद का काम करती है, जो दुनिया में एक-दूसरे में मेल-जोल बढ़ाने में सहायक है।
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर सीआरएसयू के वीसी प्रो. आरबी सोलंकी व विशेष अतिथि रजिस्ट्रार डॉ. राजबीर ¨सह मोर ने अपने विचार व्यक्त किए। मुख्यवक्ता के तौर पर कुवि के पूर्व वीसी प्रो. भीम ¨सह दहिया व सेमिनार डायरेक्टर डॉ. ज्योति श्योराण ने कार्यक्रम की जानकारी दी।
सेमिनार में प्लेनरी सेशन के चेयरपर्सन चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के अंग्रेजी विभाग से प्रो. उमेद ¨सह, रिसोर्स पर्सन के तौर पर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के अंग्रेजी विभाग से प्रो. लवलीन मोहन, एमेटि यूनिवर्सिटी गुरुग्राम के एमेटी स्कूल ऑफ लैंग्वेज के डायरेक्टर प्रो. एसके झा, आंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय सएसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजीव त्यागी रहे।
इस सत्र में अफगानिस्तान से जमारक शिनवारी व ज्वैजान यूनिवर्सिटी अफगानिस्तान से महबूब उल्लाह बिगजाद ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। वीसी प्रो. आरबी सोलंकी ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा किसी एक विभाग या विषय से संबंध नहीं रखती, यह पूरे विश्व के लिये है। उन्होंने इतने वर्षों में भारतीय लेखकों के लेखनी द्वारा योगदान की सराहना की। तत्कालीन और समकालीन लेखनी ने अंग्रेजी साहित्य और लेखन में काफी परिवर्तन लाये हैं। रजिस्ट्रार डॉ. राजबीर ¨सह मोर ने कहा कि हम भारतीय हर काम में परफेक्ट हैं, कोई भी विदेशी ऐसा नहीं हुआ कि भारतीय भाषाओं को ठीक से उच्चारण कर सकें। जबकि भारतीय विदेशियों की भाषा को बोलने में बेहतर उच्चारण का प्रयोग करते हैं। स्मारिका के माध्यम से विश्वविद्यालय के चांसलर एवं राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने सराहना करते हुए लिखा कि शोध और अध्ययन के क्षेत्र में अंग्रेजी में भारतीय लेखन महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है।