जीएसटी में फर्जी फर्म रजिस्टर्ड करा छह करोड़ का लगाया चूना
बोगस फर्म बनाकर कागज पर कारोबार कर जीएसटी हड़प रही एक फर्म का पर्दाफाश हुआ है। तीन लोगों ने फर्जी पते पर जीएसटी में फर्म रजिस्टर्ड कराकर करीब 33 करोड़ का बायो प्रोडक्ट बेचने के बिल जारी कर दिए जबकि न तो उन्होंने कुछ बेचा और न ही खरीदा।
जागरण संवाददाता, जींद : बोगस फर्म बनाकर कागज पर कारोबार कर जीएसटी हड़प रही एक फर्म का पर्दाफाश हुआ है। तीन लोगों ने फर्जी पते पर जीएसटी में फर्म रजिस्टर्ड कराकर करीब 33 करोड़ का बायो प्रोडक्ट बेचने के बिल जारी कर दिए, जबकि न तो उन्होंने कुछ बेचा और न ही खरीदा। इन बिल से वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सरकारी खजाने से रकम निकालते थे, जो उन्होंने कभी टैक्स के रूप में जमा ही नहीं किए। उन्होंने इस सेल पर छह करोड़ एक लाख 66 हजार 539 रुपये का आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का फायदा लिया। सेल टैक्स डिपार्टमेंट ने जांच की तो इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ। फर्म का जो पता दिया गया, वह फर्म रजिस्टर्ड के समय उस पर कोई ऑफिस नहीं था। फर्जी फर्म बनाने वाले ने ऑफिस का एग्रीमेंट करने वाले का जो पता दिया, वह भी जांच में फर्जी निकला है। जांच के दौरान सामने आया कि उस प्लाट का मालिक कोई दूसरा व्यक्ति है और उसने कभी इसे किराये पर नहीं दिया। आबकारी एवं कराधान अधिकारी (ईटीओ) नरेश अहलावत ने बताया कि मुख्यालय से मिले पत्र के बाद जांच के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस मामले में दिल्ली के स्वरूपनगर निवासी वीरेंद्र, रोहतक के चुगलाना पाना रुड़की निवासी प्रवेश, दिल्ली के मंडोली सबोली निवासी सोनू के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने और जीएसटी एक्ट 2017 के तहत मामला दर्ज कराया है।
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फर्म मालिक ने जहां दुकान दिखाया, वह किसी और की
फर्म मई, 2018 में मैं बायोटिक एन्वायरो सोलोशंस एंड टेक्नालॉजी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जीएसटी में रजिस्टर्ड हुई और फर्म का पता हांसी रोड स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट नंबर 47 दिखाया गया और फर्म तीन लोगों के नाम पर रजिस्ट्रर्ड थी। ऑनलाइन रिकॉर्ड में स्वरूपनगर निवासी वीरेंद्र, चुगलाना पाना रुड़की निवासी प्रवेश, मंडोली सबोली निवासी सोनू को कंपनी का डायरेक्टर दिखाया गया। फर्म ने छह करोड़ एक लाख 66 हजार 539 रुपये का आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) दिखाने पर मुख्यालय को शक हुआ और इसकी जांच करने के आदेश दिए गए। जब विभाग के स्थानीय अधिकारी इंडस्ट्रियल एरिया में प्लाट नंबर 47 में गए तो ताला लगा हुआ था। इसके बाद प्लॉट के मालिक के बारे में पता किया और फर्म के बारे में जानकारी ली तो उसने किसी भी फर्म को रजिस्ट्रेशन कराने की बात से इंकार कर दिया। उसने बताया कि उन्होंने किसी को न तो प्लाट किराये पर दिया और न ही किसी को किराये का एग्रीमेंट दिया।
दो माह में 33 करोड़ का कारोबार दिखाया
बोगस फर्म बनाने वाले आरोपितों बायो प्रोडेक्ट का कार्य दिखाया और उन्होंने मई और जून, 2018 में पोली बैग सहित दूसरे सामानों के सैकड़ों बिल काट दिए, मगर सरकार को इसके एवज में टैक्स के नाम पर कुछ नहीं दिया। जिन फर्मो को सामान बेचा हुआ दिखाया गया है, वह भी फर्जी मिली।
सत्यापन में रही ढिलाई
जीएसटी में फर्मो के रजिस्ट्रेशन के समय कोई विशेष प्रकार का सत्यापन नहीं है, यही कारण है ऐसी फर्मों को बढ़ावा मिल रहा है। जिस समय आरोपितों ने फर्जीवाड़ा किया उस समय जीएसटी लागू हुई थी और व्यापारियों का नंबर लेने का कार्य शुरू ही हुआ था। इसी का फायदा उठाकर लोगों ने बोगस फर्म बना ली और आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) नाम पर करोड़ों हड़प लिए।
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