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रणदीप सुरजेवाला की निगाहें हरियाणा सीएम की कुर्सी के साथ-साथ बांगर पर

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की निगाहें मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ-साथ बांगर इलाके पर हैं। वह जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र में इसी रणनीति से काम कर रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 08:48 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 04:57 PM (IST)
रणदीप सुरजेवाला की निगाहें हरियाणा सीएम की कुर्सी के साथ-साथ बांगर पर
रणदीप सुरजेवाला की निगाहें हरियाणा सीएम की कुर्सी के साथ-साथ बांगर पर

जींद [कर्मपाल गिल]। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की निगाहें मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ-साथ बांगर इलाके पर हैं। वह कैथल से विधायक हैं और कैथल बांगर क्षेत्र में ही आता है। सुरजेवाला लगातार इस क्षेत्र के मतदाताओं से कह रहे हैं कि यदि वे साथ दें तो चौधर उनके कदमों पर डाल देंगे।

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इसी तरह की रणनीति पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ड़ा भी काम करते रहे हैं। यही वजह है कि खादर के क्षेत्र के तीन जिले रोहतक, सोनीपत और झज्जर उनके गढ़ हैं। रणदीप भी बांगर के जिलों जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र में अपना एकछत्र प्रभाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

जींद के नरवाना हलके से राजनीति का पहाड़ा सीखने वाले रणदीप सुरजेवाला ने जिस तरह कैथल को अपना गढ़ बनाया है, उससे वह मंजे हुए नेताओं की श्रेणी में आ चुके हैं। कांग्रेस की नौ सदस्यीय कोर कमेटी में जगह मिलने और गांधी परिवार से नजदीकियां और बढ़ चुकी हैं। अब उनका फोकस पूरे बांगर इलाके की सीटों पर है। केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह  कांग्रेस में रहते हुए इसी बांगर इलाके की राजनीति करते रहे हैं। बीरेंद्र ने अपनी पूरी राजनीति बांगर में चौधर लाने के नाम पर की। इसके जरिये वह प्रदेश व देश की सरकारों में मंत्री तो बन गए, लेकिन बांगर को कुछ नहीं दे पाए।

अब बीरेंद्र के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस में बांगर की चौधर की राजनीति करने वाला कोई बड़ा चेहरा नहीं है। हालांकि जयप्रकाश कांग्रेस में बड़ा चेहरा होते थे, लेकिन पिछले चुनाव में उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद अब सुरजेवाला ही बांगर में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं। बांगर का सरदार बनने के लिए ही वह कैथल के साथ अब कुरुक्षेत्र, जींद, करनाल जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं।

दीपेंद्र हुड्डा से ली सीधी टक्कर

बांगर में अपनी चौधर के प्रति सुरजेवाला की गंभीरता इसी से देखी जा सकती है कि उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा से भी सीधी टक्कर ले ली थी और 11 नवंबर को उनके समक्ष जींद में रैली रख दी थी। हालांकि बाद में दीपेंद्र ने बैकफुट पर आते हुए अपनी परिवर्तन रैली को स्थगित कर दिया। दीपेंद्र के समानांतर सुरजेवाला की रैली रखने का सीधा संदेश यही था कि वह बांगर में दूसरे नेताओं की इंट्री नहीं चाहते हैं।

युवा नेताओं को टीम में शामिल किया

जींद के अलावा उचाना, नरवाना, सफीदों में भी सुरजेवाला कई बड़ी जनसभाएं कर चुके हैं। इन हलकों से कई युवा नेताओं को अपनी टीम में शामिल कर चुके हैं। सफीदों में बच्चन सिंह आर्य, वीना देशवाल, जुलाना से मूर्ति मलिक, जींद में सुधीर गौतम, वजीर ढांडा, मुकेश चहल, महेंद्र नैन, उचाना में सतीश काली, नरवाना में ईश्वर नैन, विद्या रानी, रामनिवास सुरजाखेड़ा सहित कई युवा नेता सुरजेवाला की टीम का हिस्सा बन चुके हैं। सुरजेवाला का मिशन यही है कि बांगर के हलकों में ज्यादा से ज्यादा विधायक उसके साथ रहें ताकि कांग्रेस के सत्ता में आने पर सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में आसानी रहे।

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