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चितन से चितारोहण की कथा है रामायण : राकेश मुनि

जैन संत राकेश मुनि ने जैनसभा में चल रही श्रीराम कथा माला के सातवें दिन रामायण की मनोवैज्ञानिक व्याख्या करते हुए कहा कि रामायण केवल त्रेता युग में घटित इतिहास मात्र नहीं है यह दैनिक जीवन में घटित होने वाली रोजमर्रा की घटनाओं को शाश्वत विवरण है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 06:30 AM (IST)
चितन से चितारोहण की कथा है रामायण : राकेश मुनि
चितन से चितारोहण की कथा है रामायण : राकेश मुनि

जागरण संवाददाता, जींद : जैन संत राकेश मुनि ने जैनसभा में चल रही श्रीराम कथा माला के सातवें दिन रामायण की मनोवैज्ञानिक व्याख्या करते हुए कहा कि रामायण केवल त्रेता युग में घटित इतिहास मात्र नहीं है, यह दैनिक जीवन में घटित होने वाली रोजमर्रा की घटनाओं को शाश्वत विवरण है।

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श्रीमद्भगवद गीता के साथ उन्होंने कहा कि विषय भोगों का चितन करने से उनके प्रति आसक्ति पैदा हो जाती है, फिर क्रमश: काम, क्रोध, सम्मोह, स्मृति भ्रंश और बुद्धि नाश होते-होते आदमी की मृत्यु हो जाती है। जब रावण के दिमाग में सीता हरण का विचार आया, उसी समय उसका मुकुट जटाओं में धंस गया। राजसी वेष गेरु, कपड़ों में बदल गया। हाथ में राज दंड की जगह भिक्षा पात्र आ गया और शाही जूते भी एकदम खड़ाऊ के रूप में बदल गए। यह तो सीता हरण का विचार मात्र था, जब विचार व्यवहार में आ गया, तो रावण के कुल का सर्वनाश हो गया। उन्होंने कहा कि अधम गति में जन्म लेकर भी जटायु कितना भाग्यशाली रहा कि अंत समय में प्रभु राम की गोद में बैठकर अपने प्राण त्यागे। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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