सफाई मे नगर परिषद के साथ जनभागीदारी जरूरी, बदलनी होगी मानसिकता
जागरण संवाददाता, जींद : स्वच्छता सर्वेक्षण में 391 शहरों के मुकाबले में जींद शहर को अच्छी रैं¨कग दिलाने के लिए नगर परिषद व प्रशासन के साथ-साथ आमजन भागीदारी भी जरूरी है। साल 2016 व 2017 में स्वच्छता सर्वेक्षण हो चुका है और अब चार जनवरी से तीसरी बार ये सर्वे आ रहा है। लेकिन इन सालों में शहर को स्वच्छ बनाने के नगर परिषद द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद ज्यादा बदलाव नहीं आया।
जागरण संवाददाता, जींद : स्वच्छता सर्वेक्षण में 391 शहरों के मुकाबले में जींद शहर को अच्छी रैं¨कग दिलाने के लिए नगर परिषद व प्रशासन के साथ-साथ आमजन भागीदारी भी जरूरी है। साल 2016 व 2017 में स्वच्छता सर्वेक्षण हो चुका है और अब चार जनवरी से तीसरी बार ये सर्वे आ रहा है। लेकिन इन सालों में शहर को स्वच्छ बनाने के नगर परिषद द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद ज्यादा बदलाव नहीं आया।
नगर परिषद न तो शहर की सफाई के लिए पर्याप्त संसाधन जुटा पाई और ना ही लोगों की मानसिकता बदल पाई। आज भी लोग खाली प्लाटों, पार्कों व सड़क किनारे कूड़ा डाल रहे हैं। मुख्य मार्गों पर बनाए गए कूड़ा कलेक्शन सेंटरों के कूड़ा अंदर डालने के बजाय लोग बाहर डाल कर चले जाते हैं। खुद की जिम्मेदारी समझने की बजाय इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन पर डाल देते हैं। लेकिन जब तक आम आदमी जिम्मेदारी नहीं समझेगा, तब तक गंदगी की समस्या से निजात नहीं पाया जा सकता। सेव संस्था, अन्ना टीम व अन्य कुछ संगठन सफाई के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जो शहर के साथ-साथ गांवों में भी सफाई अभियान चलाते हैं। लेकिन इसके बावजूद काफी लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। जिसके लिए प्रशासन को सख्ती अपनाने की जरूरत है। इधर-उधर कूड़ा डालने वालों के खिलाफ जुर्माना किया जाना चाहिए।
---------------
यहां सुधार की जरूरत
कॉलोनियों में कलेक्शन प्वाइंट नहीं हैं, जिससे सफाई कर्मियों में कूड़ा डालने में दिक्कत होती है।
--आबादी के हिसाब से सफाई कर्मचारियों की संख्या आधी भी नहीं है।
--शहर में पर्याप्त सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने चाहिएं।
--कलेक्शन सेंटरों से समय पर कूड़े का उठान
---------------
अहम है जनभागीदारी
शहर को साफ-सुथरा रखने में तो आमजन का योगदान जरूरी है। साथ ही कुल पांच हजार अंकों के सर्वे में जनभागीदारी अहम है। डायरेक्ट आब्जर्वेशन के दौरान सर्वे टीम शहर में घूम कर देखेगी कि सफाई के प्रति शहर के लोग कितने जागरूक हैं और उनकी भागीदारी कितनी है। इसके आधार पर भी अंक तय होंगे।
----------------
टूटे पड़े हैं कूड़ा कलेक्शन सेंटर
करीब दो साल पहले शहर में बनाए गए कूड़ा कलेक्शन सेंटर टूट चुके हैं। इन पर बेसहारा पशुओं का कब्जा है। पिछले महीने नगर परिषद हाउस की मी¨टग में इन्हें रिपेयर करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था, लेकिन अभी तक मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है। जबकि सर्वे शुरू होने में दो सप्ताह से भी कम समय बचा है।
--------------
लोगों की मानसिकता नहीं बदली
पढ़े-लिखे होने के बावजूद लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। कूड़ेदान या कलेक्शन सेंटर पर कूड़ा डालने की बजाय बाहर फेंक देते हैं। पिछले कुछ सालों में सफाई के क्षेत्र में सुधार तो हुआ है। लेकिन बदलाव तभी आएगा, जब लोगों की सोच बदलेगी और जनभागीदारी बढ़ेगी।
प्रवीन सैनी, अन्ना टीम सदस्य
-------------
सुधार के लिए सख्ती जरूरी
सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ काफी लोग शहर को साफ-सुथरा करने के लिए आगे आए। लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता की वजह से वे पीछे हट जाते हैं। लोग सड़क किनारे, खाली प्लाटों व सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा फेंक देते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
नरेंद्र नाडा, प्रधान, सेव संस्था
--------------
नोटिस भेज रहे
सर्वे चल रहा है और जहां-जहां खाली प्लाटों में कूड़ा डाला जा रहा है। उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं। सोमवार से उन लोगों के चालान भेजे जाएंगे। कूड़ा कलेक्शन सेंटरों की भी रिपेयर जल्द कराई जाएगी। शहर को सात जोन में बांटा हुआ है और वरिष्ठ अधिकारी नोडल अधिकारी हैं। वे वार्डों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
अशोक सैनी, सफाई निरीक्षक, नगर परिषद, जींद