नौकरी बचाने के लिए पीटीआइ ने पकड़ी आंदोलन की राह
उन्होंने कहा कि 1983 पीटीआइ के परिवारों पर हरियाणा की भाजपा सरकार ने जो कुठाराघात किया है उसके विरोध स्वरूप अब व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। जींद के एकलव्य स्टेडियम में हुई प्रदेश स्तरीय मीटिग में लिये गए निर्णय के अनुसार हरियाणा शारीरिक अध्यापक संघ के बैनर तले प्रदेश के तमाम पीटीआइ लॉक स्तर पर 12 जून को धरना देंगे।
जागरण संवाददाता, जींद : सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार द्वारा हटाये गये हरियाणा के 2010 में लगे 1983 पीटीआइ अपनी नौकरी बचाने के लिए आंदोलन की राह पकड़ चुके हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार पर पीटीआ के प्रति भेदभाव पूर्ण रवैये को देखते हुए निर्णायक लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया गया है। यह बातें हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान वजीर गांगोली ने कही।
उन्होंने कहा कि 1983 पीटीआइ के परिवारों पर हरियाणा की भाजपा सरकार ने जो कुठाराघात किया है, उसके विरोध स्वरूप अब व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। जींद के एकलव्य स्टेडियम में हुई प्रदेश स्तरीय मीटिग में लिये गए निर्णय के अनुसार हरियाणा शारीरिक अध्यापक संघ के बैनर तले प्रदेश के तमाम पीटीआइ लॉक स्तर पर 12 जून को धरना देंगे। वहीं 15 जून को जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा। यह अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार अपने भेदभाव भरे रुख पर नरम नहीं पड़ जाती।
वजीर गांगोली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 8 अप्रैल 2020 को दिये गए निर्णय की अवमानना को दरकिनार करते हुए हरियाणा के शिक्षा निदेशालय ने मनमाना फरमान सुनाते हुए समय से पहले ही पीटीआइ को कार्य मुक्त कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने लॉकडाउन के बाद 5 महीने के अंदर दोबारा भर्ती करने के आदेश दिये थे, लेकिन सरकार द्वारा समय से पहले ही उन्हें रिलीव कर दिया गया। 2010 में लगे पीटीआइ अध्यापकों कारण बलि का बकरा बनाया जा रहा हैं। उस समय प्रदेश में हुड्डा सरकार थी। इसलिए मौजूदा सरकार ने रंजिशन के चलते 1983 इनका रोजगार छीनने का काम किया है। गांगोली ने कहा कि हटाये गए पीटीआई अध्यापक अपना रोजगार पाने के लिए लोगों के द्वार-द्वार जाएंगे। हक की यह लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी। अध्यापकों के दस्तावेज वेरीफिकेशन में सौ फीसद उतरे खरे
संघर्ष समिति के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान वजीर गांगोली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का हवाला देकर सरकार भेदभाव की सोच को सिरे चढ़ा रही है। उच्चतम न्यायालय ने तो हरियाणा में एसवाईएल का पानी लाने के भी निर्देश दिये थे। फिर उस निर्णय पर पालना क्यों नहीं की। अगर भर्ती में कहीं कोई खामी है तो वह बोर्ड की ही होगी। पीटीआइ के दस्तावेज वेरीफिकेशन के बाद सौ फीसद खरे उतरे हैं।