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कोरोना काल में प्रॉपर्टी बाजार धड़ाम, कलेक्टर रेट घटाने के मूड में नहीं प्रशासन, पुराने रेट प्रस्तावित

कोरोना के कारण प्रॉपर्टी बाजार में भी मंदा चला हुआ है। लॉकडाउन के कारण लोगों के काम-धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 06:50 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 06:50 AM (IST)
कोरोना काल में प्रॉपर्टी बाजार धड़ाम, कलेक्टर रेट घटाने के मूड में नहीं प्रशासन, पुराने रेट प्रस्तावित
कोरोना काल में प्रॉपर्टी बाजार धड़ाम, कलेक्टर रेट घटाने के मूड में नहीं प्रशासन, पुराने रेट प्रस्तावित

कर्मपाल गिल, जींद

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कोरोना के कारण प्रॉपर्टी बाजार में भी मंदा चला हुआ है। लॉकडाउन के कारण लोगों के काम-धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्राइवेट सेक्टरों में नौकरियां गई हैं, तो छोटे उद्योग धंधे भी मंदी की चपेट में हैं। इस कारण लोगों की जेब खाली है। लॉकडाउन में आई मंदी के कारण शहर व गांवों में रिहायशी, कमर्शियल व कृषि योग्य भूमि की खरीद-फरोख्त में कमी आई है। बावजूद इसके जिला प्रशासन आगामी वित्तीय वर्ष से जमीन के कलेक्टर रेट को घटाने के मूड में नहीं है। प्रशासन ने आगामी अप्रैल से दिसंबर 2021 तक के लिए चालू कलेक्टर रेट को ही प्रस्तावित किया है। इन कलेक्टर रेट के बारे में लोग अपनी आपत्ति व शिकायतें एसडीएम या तहसील कार्यालय में 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक दर्ज करवा सकते हैं। इसके बाद डीसी द्वारा नियुक्त कमेटी कलेक्टर रेट फाइनल करके सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजेगी। लॉकडाउन के कारण लोग पुराने रेट पर भी जमीन खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं। शहर में प्रॉपर्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदी के हालात को देखते हुए प्रशासन को कलेक्टर रेट करके प्रस्तावित करने चाहिए थे, ताकि मार्केट में कुछ बूम आ सके। अभी खरीदार की जेब में पैसा नहीं है और कोरोना के कारण आई मंदी के चलते वह घबराया हुआ है। सेक्टरों में एक बार रेट में उछाल आया था, अब वहां भी मंदा चल रहा है और कस्टमर मार्केट में नहीं आ रहा है। रजिस्ट्री के नए कानून की पेचिदगियों से भी लोग परेशान हैं। सरकार व प्रशासन को पहले इन सभी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

नया रजिस्ट्री सिस्टम कर रहा परेशान

सरकार ने कोरोना काल में नया रजिस्ट्री सिस्टम लागू किया है। इसने भी लोगों की परेशानी को बढ़ा रखा है। पहले अप्रूव्ड कालोनी की रजिस्ट्री आसानी से हो जाती थी, लेकिन अब नगरपरिषद की आईडी बना दी गई है। पहले तो लोगों को आईडी लेने के लिए कई चक्कर काटने पड़ते हैं। आईडी मिलने के बाद सॉफ्टवेयर उसे उठाता ही नहीं है। शहर की कालोनियों की आईडी को सॉफ्टवेयर उठा नहीं रहा है, जिस कारण खरीदार व विक्रेता परेशान हैं।

न्यू जवाहर नगर की आईडी नहीं उठ रही

सफीदों रोड पर न्यू जवाहर नगर हैबतपुर गांव की जमीन में कटा हुआ है। अब यह नगरपरिषद के अधीन है और अप्रूव्ड भी है। सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने के कारण यहां की आईडी को उठा नहीं रहा है। इसी तरह पिडारा की आईडी भी नहीं उठ रही हैं। इन परेशानियों के कारण सौदे रुके हुए हैं। इसी तरह कई कॉलोनियां पूरी तरह आबाद हो चुकी हैं। प्रशासन वहां सीवर, पानी, सड़क की सुविधा दे रहा हैं, लेकिन उन्हें अभी तक अप्रूव्ड नहीं किया गया।

प्लॉट सस्ते, रजिस्ट्री महंगी, घटने चाहिए कलेक्टर रेट

कोरोना के कारण खरीदार कम होने के कारण जमीन के रेट भी कम हुए हैं। शहर में कई कालोनियां ऐसी हैं, जहां प्लॉटों के भाव कम हैं और कलेक्टर ज्यादा हैं। सफीदों रोड पर न्यू जवाहर नगर और विजय नगर में पांच से छह हजार रुपये के बीच प्लॉट बिक रहे हैं। हालांकि इस रेट पर भी खरीदार नहीं हैं, लेकिन रजिस्ट्री साढ़े छह हजार रुपये कलेक्टर रेट के हिसाब से करवानी पड़ रही है। इन हालात में प्रशासन को कलेक्टर रेट घटाने चाहिए थे।

वर्ष 2022 में जनवरी से दिसंबर तक होगा कलेक्टर रेट

अभी तक कलेक्टर रेट वित्तीय वर्ष के हिसाब से लगाया जाता है। लेकिन अब प्रशासन ने आगामी अप्रैल से दिसंबर 2021 तक के लिए सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं। यानि अप्रैल में लागू होने वाला कलेक्टर रेट दिसंबर तक रहेगा। इसके बाद जनवरी से दिसंबर तक सालाना कलेक्टर लागू होगा न कि वित्तीय वर्ष के हिसाब से।

अभी लोगों से सुझाव मांगे गए हैं: डीसी

डीसी डॉ. आदित्य दहिया ने बताया कि जिले में अचल संपत्ति के पुराने रेट ही आगामी अप्रैल से दिसंबर 2021 तक के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। यह रेट जिला प्रशासन की सरकारी वेबसाइट जींदडॉटएनआइसीडॉटइन पर अपलोड हैं। इनकी एक प्रति एसडीएम व तहसील कार्यालय में भी उपलब्ध करवा दी गई है। इन कलेक्टर रेटों के संबंध में किसी व्यक्ति को कोई आपत्ति या शिकायत है तो वह संबंधित एसडीएम कार्यालय या तहसील कार्यालय में 15 दिसम्बर से आगामी 15 जनवरी तक दर्ज करवा सकता है। लोगों की आपत्ति या सुझाव को देखने के लिए एसडीएम, तहसीलदार, डीटीपी, डीएमसी, एक्सईएन बीएंडआर व हुडा ईओ की कमेटी बना दी गई है। यह कमेटी ही सुझाव व आपत्ति पर चर्चा के बाद कलेक्टर रेट फाइनल करेगी।


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