इन प्रोफेसर को पौधे लगाने का जुनून, कालेज को बनाया हरा-भरा
इनसे मिलिए। ये हैं प्रो. जयपाल आर्य। नरवाना के केएम कालेज में कैमिस्ट्री के प्राध्यापक हैं। कॉलेज की शैक्षणिक गतिविधियों व अन्य सामाजिक कार्यक्रम में सक्रिय रहते हैं। इसलिए इनके फोटो लगातार अखबारों में छपते हैं। आज आप पढ़ेंगे इनके पर्यावरण के प्रति जुनून व प्यार के बारे में।
जागरण संवाददाता, जींद : इनसे मिलिए। ये हैं प्रो. जयपाल आर्य। नरवाना के केएम कालेज में कैमिस्ट्री के प्राध्यापक हैं। कॉलेज की शैक्षणिक गतिविधियों व अन्य सामाजिक कार्यक्रम में सक्रिय रहते हैं। इसलिए इनके फोटो लगातार अखबारों में छपते हैं। आज आप पढ़ेंगे इनके पर्यावरण के प्रति जुनून व प्यार के बारे में। प्रो. आर्य अब तक परिवार व विद्यार्थियों के साथ मिलकर करीब दस हजार पौधे लगा चुके हैं। इनमें से करीब आठ पौधे अब पेड़ बन चुके हैं।
खास बात यह है कि प्रो. जयपाल शारीरिक रूप से विकलांग हैं, लेकिन मानसिक रूप से उतने ही मजबूत। बचपन में एक पैर में पोलियो हो गया था, बाद में उसमें फ्रैक्चर हो गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं और लाठी का सहारा लेकर आम आदमी से भी ज्यादा सक्रिय रहते हैं। प्रो. आर्य ने बताया कि बचपन में आर्य समाज के कार्यक्रमों में जाता था। भजन उपदेशक पिरथी सिंह बेधड़क के भजन सुनकर समाजसेवा में सक्रिय हो गया। पर्यावरण की तरफ झुकाव के बारे में कहा कि एक बार पिताजी खेत में छोटी कीकर काट रहे थे। तब काफी दुख हुआ और पौधे लगाने का अभियान शुरू कर दिया। वर्ष 2002 तक 2004 के बीच पैतृक गांव घिलौड़ कलां में सड़क के किनारे बेटे के साथ मिलकर करीब एक हजार पेड़ लगा दिए और ग्रीन बेल्ट बन गई। नरवाना केएम कॉलेज और आसपास के गांव फरैण कलां, अमरगढ़, दबलैन, फुलियां कलां, खरल, उझाना समेत कई गांवों में करीब छह-सात हजार पौधे लगा चुके हैं, जिनमें से 90 फीसदी चालू हालत में हैं। खुद के पैसे खर्च करके कॉलेज में 400 पौधे लगाए। प्रो. जयपाल ने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि आगामी एक साल में विद्यार्थियों के सहयोग से नरवाना शहर व आसपास के गांवों में दोगुनी गति से पौधरोपण अभियान चलाया जाए।
जेब से खर्च किए करीब तीन लाख रुपये
प्रो. जयपाल आर्य कहते हैं कि उनके पौधरोपण अभियान में आर्य समाजी युवाओं का अहम योगदान है। एक बुलावे पर युवाओं की टीम पौधे लगाने, सफाई अभियान व अन्य कार्यों में तत्पर रहती है। अब तक वह पेड़-पौधों पर अपनी जेब से करीब तीन लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। उनका प्रयास रहता है कि नीम, बड़, पीपल के साथ औषधीय पौधे लगाए जाएं। कोरोना काल में उन्होंने पत्नी स्नेहलता के साथ कॉलेज के पेड़ों पर सफेदी की ताकि दीमक व दूसरी बीमारियां न लग सकें।