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बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां में गौरव पट्ट पर भी सियासत

राज्यसभा सदस्य बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में पंचायत की ओर से लगाया गया गौरव पट्ट विवादों में आ गया है। इस पट्ट पर गांव के मौजिज व्यक्तियों के नाम लिखे जाने थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:37 AM (IST)
बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां में गौरव पट्ट पर भी सियासत
बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां में गौरव पट्ट पर भी सियासत

कर्मपाल गिल, जींद

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राज्यसभा सदस्य बीरेंद्र सिंह के गांव डूमरखां कलां में पंचायत की ओर से लगाया गया गौरव पट्ट विवादों में आ गया है। इस पट्ट पर गांव के मौजिज व्यक्तियों के नाम लिखे जाने थे। लेकिन दो आईएएस, एक आईपीएस, मेजर जनरल सहित कई बड़े अफसरों को इस पट्ट पर जगह नहीं मिली। जबकि खेल विभाग में कोच व अन्य सेकेंड क्लास अधिकारियों के नाम अंकित कर दिए गए हैं।

दाड़न खाप चौबीसी में आने वाला गांव डूमरखां कलां का देश-प्रदेश की राजनीति में विशेष योगदान रहा है। इस गांव के इंद्र सिंह श्योकंद हरियाणा के बड़े राजनेता हुए हैं। संयुक्त पंजाब के दौरान 1952 में वे पहली बार नरवाना से विधायक बने थे और 1953 में पंजाब के राजस्व मंत्री भी रहे। इसके बाद 1957 में दोबारा विधायक बने। 1977 में वह हिसार से सांसद बनकर देश की सबसे बड़ी लोकसभा में पहुंचे। लेकिन गौरव पट्ट में उनका नाम चौथे नंबर पर लिखा गया है। जबकि पहले नंबर पर राज्यसभा सदस्य बीरेंद्र सिंह के पिता नेकीराम का नाम लिखा गया है। जबकि सियासी रूप से इंद्र सिंह से नेकीराम काफी जूनियर थे। नेकीराम 1968 में पहली बार नरवाना से कांग्रेस विधायक बने थे। तब उनके खिलाफ स्वतंत्र पार्टी से शमशेर सुरजेवाला चुनाव लड़ रहे थे, जो 1967 में आरपीआई की टिकट पर विधायक बने थे। ग्रामीणों के अनुसार तब इंद्र सिंह की मदद से ही नेकीराम ने सुरजेवाला के खिलाफ चुनाव जीता था। गौरव पट्ट पर दूसरे नंबर पर राज्यसभा सदस्य बीरेंद्र सिंह व तीसरे नंबर पर विधायक प्रेमलता का नाम है। बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह का नाम भी अंकित है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव का गौरव लिखने में सियासत नहीं होनी चाहिए थी। इंद्र सिंह को सम्मान देते हुए पहले नंबर पर लिखा जाना था। --दो आईएएस, 1 आईपीएस, मेजर जनरल का नाम गायब

ग्रामीण के अनुसार ग्राम पंचायत ने सियासी दबाव में गौरव पट्ट से उन लोगों के नाम गायब कर दिए हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से गांव का गौरव बढ़ाया है। कॉलेज से रिटायर्ड प्रोफेसर रामकुमार श्योकंद, उनकी धर्मपत्नी रिटायर्ड आईएएस जयवंती श्योकंद, उनके आईएएस पुत्र यशेंद्र सिंह व आईपीएस बेटी स्मिति चौधरी का नाम गौरव पट्ट पर अंकित नहीं है। इंद्र सिंह श्योकंद के छोटे बेटे मेजर जनरल अनिल चौधरी का नाम भी नहीं है, जो अभी अंबाला में कमांड कर रहे हैं। इंद्र सिंह के बड़े पुत्र रिटायर्ड सीएमओ अनूप सिंह व बेटी सरोज का भी नाम नहीं है, जो यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड डीन हैं। अनूप सिंह की बेटी रिटायर्ड प्रोफेसर सौम्या श्योकंद का भी नाम गौरव पट्ट से गायब है। --इन बड़े अफसरों के नाम भी गायब

डूमरखां कलां का गौरव बढ़ाने वाले पैरामिलिट्री फोर्स में कमांडेंट आईपीएस दीपक पुत्र विजय चौहान, दिल्ली में एसीसी विकास पुत्र रतन सिंह, चौधरी बसंता राम के पुत्र आर्मी से रिटायर्ड कर्नल गजेंद्र सिंह व पब्लिक हेल्थ से रिटायर्ड चीफ इंजीनियर वीरेंद्र सिंह का नाम भी गायब है। एडीजे राजीव पुत्र नसीब सिंह, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडीशनल एडवोकेट जनरल रहे सुबीर श्योकंद व डिप्टी एडवोकेट जनरल रहे सुरेंद्र पाल सिंह के नाम भी जगह नहीं मिली है। --सरपंच को सभी अफसरों के नाम दिए थे

गांव की जज बेटी सोनिया श्योकंद के पिता रिटायर्ड हेडमास्टर राजबीर सिंह ने बताया कि सरपंच ने उनसे सभी बड़े अधिकारियों की लिस्ट मांगी थी। उन्होंने नरवाना व गांव का दौरा करके पूरी लिस्ट सरपंच को दे दी थी। जिसमें गांव के सभी सीनियर अफसरों के नाम लिखे थे। लेकिन जब गौरव पट्ट पर अंकित नाम देखे तो वह भी दंग रह गए। गांव के बड़े अफसरों का नाम राजनीति से प्रेरित होकर काटे गए हैं या किसी दूसरे कारण से, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते। लेकिन इस तरह की घटिया सियासत नहीं होनी चाहिए।


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