फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा दुर्जनपुर का पीएचसी
दुर्जनपुर पीएचसी इन दिनों एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। यहां पर कार्यरत डॉक्टर की नियुक्ति जींद सिविल अस्पताल में होने से वे सप्ताह में दो दिन ही यहां पर आ पाते हैं।
संवाद सूत्र, उचाना : दुर्जनपुर पीएचसी इन दिनों एक फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। यहां पर कार्यरत डॉक्टर की नियुक्ति जींद सिविल अस्पताल में होने से वे सप्ताह में दो दिन ही यहां पर आ पाते हैं। ऐसे में यहां पर उपचार कराने आने वाले मरीजों के जांच का जिम्मा फार्मासिस्ट पर है। यहां पर जो लैब है, उसमें कार्यरत कर्मचारी भी कई महीनों से छुट्टी पर है। ऐसे में खून सहित अन्य जांच भी यहां पर नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जब यहां पर उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है तो यहां स्वीकृत पदों पर नियुक्ति की जाए ताकि स्वास्थ्य सेवाएं यहां पर आने वाले मरीजों को मिल सकें।
पीएचसी के अधीन 10 गांव आते हैं और यहां की आबादी 38 हजार है। ग्रामीणों की मांग पर 2009 में उप स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो गया था। दांतों के डॉक्टर का पद भी यहां पर रिक्त है। यहां पर स्वीकृत चार नर्सो के पदों में से दो पद रिक्त है। यहां पर कोई महिला डॉक्टर भी नहीं है। करोड़ों रुपये यहां पर उप स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य विभाग ने खर्च किए है, लेकिन पद रिक्त होने के चलते इसका कोई फायदा दुर्जनपुर गांव सहित 10 गांवों के ग्रामीणों को नहीं हो रहा है।
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डॉक्टर न दवा
सुमित थलौड़, शमशेर सिंह, संदीप सहरावत, कुलदीप, मनोहर, प्रदीप, संदीप आदि ने कहा कि यहां पर न तो डॉक्टर मिलते हैं न ही गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन, केल्शियम की गोलियां मिलती हैं। 10 साल पहले शुरू हुए करोड़ों रुपये से बने उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी के चलते कोई फायदा नहीं हो रहा है। यहां पर महिला डॉक्टर न होने के चलते महिलाओं को उचाना, जींद और नरवाना जाना पड़ रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र होने के चलते यहां पर एंबुलेंस की मांग भी वे कर चुके हैं। अस्पताल में जाने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है। कच्चे रास्ते से होकर जाना पड़ रहा है। बारिश के समय तो कच्चे रास्ते में कीचड़ होने के चलते अस्पताल में जा तक नहीं सकते है।
उचाना के नागरिक अस्पताल के कार्यकारी एमओ डॉ. सुशील गर्ग ने कहा कि दुर्जनपुर में जो डॉक्टर कार्यरत है उनकी ड्यूटी जींद सिविल अस्पताल में लगी है। लैब में कार्यरत कर्मचारी अवकाश पर था जो ड्यूटी पर आ गया है। दवा खत्म होने की जानकारी उन्हें नहीं है। इस बारे में वे पता करेंगे। जो भी रिक्त पद है उनकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी हुई है।